
1- लौट कर एक दफा फिर आजा, सब कुछ छोड़ कर एक दफा फिर आजा।

2- आवाजें काफी लगाई तुझे बुलाने की खातिर, तूने हर दफा सुन कर अनसुनी कर दी हर आवाज़ मुझे रुलाने की खातिर।

3- अब वो अपनी महफ़िल में हमे बुलाते भी नहीं, जिन्हे महफ़िलें हमारे बिना कभी अधूरी लगा करती थी।

4- अब किसे बुलाया जाए फिर जब अपने ही नहीं आते अपनों की खातिर।

5- चाहने वाले खुद आते हैं उन्हें बुलाया नहीं जाता, जो जी रहे हों तेरी याद के सहारे उन्हें कभी भुलाया नहीं जाता।
6- जानता हूँ बुला रहे है अपनी महफ़िल में ज़लील करने को, फिर भी उसका बुलावा मुझसे ठुकराया नहीं जा रहा।
7- तेरी यादें आ जाती है बिन बकाये मेहमान की तरह, और फिर कब्ज़ा कर लेती है मेरे दिलो-दिमाग पर।
8- सिफारिश कई दफा की है उससे लौट आने की मैंने, मगर उसने खारिज किया है हर सिफ़िश को मेरी।
9- उसने लाख कहा हमे लौट जाने को, हम तस से मस ना हुए उस दिल के दरवाज़े से।

10- सहेज कर रखना इन यादो को तुम, की अब हमारा लौट पाना मुमकिन नहीं।
11- भले लाख तेरी यादों में जलेंगे अब, पर तेरी और फिर ना चलेंगे अब।
12- ना कहो मुझे लौट जाने को, की मैं निकला ही नहीं था इस सफर पर लौट जाने के लिए।
13- एक बात तो सीख ली है मैंने ज़माने से, की कुछ बुरा नहीं है किसी को मतलब से बुलाने में।
14- इश्क़ में मेरा इस क़दर टूटना तो लाज़मी था, दिल कांच का था और मोहोब्बत पत्थरों से की थी।

15- तुम बुला लेना जब ज़रुरत पड़े हमारी, मैं वैसे भी तेरे सिवा अब किसी काम का ना रहा।
16- बुलाते हो मुझे अब किस जुबां से की एक लफ्ज़ तक नहीं निकला मुझे रोकने के लिए।
17- जब भी होती है शामें तेरी यादें बुला लेती है, फिर चुभती है इस क़दर की हर रात रुला देती है।
18- चाय पर बुलाओ तो कुछ घर जैसा माहौल बने, ये तेरा कॉफ़ी पर बुलाना ऑफिस जैसा लगता है।
19- ये मत समझना की तुझको भुला नहीं पाएंगे हम, इतनी तोड़ फोड़ की है तूने दिल में रहकर की फिर तुझे इसमें रहने को बुला नहीं पाएंगे।

20- तेरी रुस्वाई ने बेज़ुबान कर दिया है मुझे, अब फिर से बुलाने की ख्वाहिश मत करना।
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21- दस्तक दे रही है खुशियां किसी दरवाज़े पर बेवजह ही, किसी के घर में खुशियां बुलाकर भी नहीं आती।
22- देख कर भी क्यों हमे नज़रअंदाज़ कर रहे हो, हम तेरी महफ़िल के बिन बुलाए मेहमान तो नहीं हैं।
23- मेरे सगे वही है जो अब मेरे साथ में रहते हैं, जो मेरी यादों में रहते है उन्हें मैंने बेगाना कर दिया है।
24- तुझे भूलना ज्यादा मुश्किल है या तुझे याद कर समझ नहीं आता, मुस्कुराना ज्यादा मुश्किल है या जख्म छुपाना समझ नहीं आता।
25- क्या फायदा है फिर उसे आवाज़ देकर जिसके आस-पास शोर है चाहने वालों का।
26- आवाज़ चाहे लाख लगा लो वक़्त और इज़्ज़त फिर लौट के नहीं आती।
27- अब या फिर उसे भुलाना चाहूंगा या फिर बुलाना चाहूंगा, अब या फिर उसके संग मुस्कराना चाहूंगा या फिर खुद को रुलाना चाहूंगा।
28- फायदा नहीं उसे बुलाने का अब, की आंसू लौटते नहीं फिर आँखों में निकल जाने के बाद।
29- तुम आते नहीं ज़िन्दगी में मेरी, मगर ख्यालों में आना जाना तुम्हारा लगा रहता है।
30- याद ख़याल खाब तेरे हमे बोहोत आए, मगर एक दफा ऐसे ना हुआ की तू लौट आए।
31- लौट गया वो लूट कर मुझे, आया था वो ज़िन्दगी में मेरी लूटेरों की तरह।
32- एक रही जो निकला था मोहोब्बत के सफर पर कभी उसकी फिर कभी घर वापसी नहीं हुई।
33- इंसान की फितरत को समझते हैं परिंदे, कितनी भी मोहूबत से बुलाना मगर पास नहीं आएँगे।
34- चला गया ना वो भी मुझे बर्बाद कर के, मेरी ज़िन्दगी के ऊपर एक सवाल रख के।
35- याद आते हुए भी लौट नहीं सकते घर की और की खाली हाथ जाना अब कुछ सही नहीं लगता।
36- ना आते हो सनम ना बुलाते हो सनम, तुम हमे बुलाना भी भूल गए और ठिकाना भी भूल गए।
37- हालत यूँ है की हम तुम्हे बुला नहीं सके अब, हाँ वो बात और है की अब तुम्हे भुला नहीं सकते हम।
38- ऐसा नहीं की अब कोई आवाज़ नहीं देता हमे, बस जिसकी आवाज़ सुन्नी है वो खामोश बैठा है।
39- अब या तो हम बेहरे हो गए हैं या फिर वो हमे बुला ही नहीं रहा।
40- इश्क़ अगर रूह से हो तो हर रूप कमाल लगता है, तू हमे लाख बुरा कह ले हमे तो सनम तू कमाल लगता है।