
1- बातें तेरी कांच से भी पैनी है कुछ, वो शरीर को छोड़ सीधा दिल को चुभती है।

2- कांच तो यूँ ही बदनाम है चुभन तो बातों में ज्यादा होती है।

3- दूरियां दूर रहने से नहीं बल्कि सहने से बढ़ती है।

4- आँखों में चुभता है तुझे किसी और के साथ देखना, यूँ ही नहीं हम तुमसे अब नज़र चुराते हैं।

5- मेरी ख़ुशी भी कांच की तरह थी नाजाने कितने लोगों को चुभा करती थी।
6- जख्म जिस्म पर जो लगे उनका इलाज कर सकता है हक़ीम दिल पर लगे जख्मों को तो वक़्त ही भरता है।
7- तुम जितना भुलाओगे उतना याद आएँगे हम, चाहे जितना बुलाओगे अब ना आएँगे हम।
8- उसने इतने दर्द दिए हैं अनजाने में हमे, की उसे सहने के सिवाय अब कोई चारा नहीं।
9- वो तेरा महफ़िल में बुलाकर नज़रअंदाज़ करना, मुझे अपने वजूद पर सवाल खड़े करने को मजबूर करता है।

10- वो क्या जीने की आस रखे भला जिसकी ज़िन्दगी ही बेवफा हो।
11- अब यक़ीन पर यक़ीन रहे कैसे की हर यक़ीन ने यक़ीनन मेरा दिल दुखाया है।
12- कैसे कह दूँ जो नज़र नहीं आता वो होता ही नहीं, मेरे दिल के ज़ख्मों को बस मैं जानता हूँ।
13- बाहरी तौर से ठीक हूँ मैं, अंदर से मेरी बड़ी हालत खराब है।
14- ये दिल मेरा कब्र की तरह है, ना जाने कितनी तमन्नाएं दफ़न है इसमें।

15- वो जान बन गए हैं ये जान चुके थे हम, वो माने ना माने उन्हें हम अपना मान चुके थे।
16- जब खुद पर बीतती है तब मालूम पड़ता है, मैं समझ सकते हूँ कहना बहुत आसान है सनम।
17- थोड़ी मोहोब्बत तो तुझे भी थी मुझसे, वरनाइतना वक़्त बर्बाद ना करती सिर्फ एक दिल तोड़ने के लिए।
18- मुस्कराहट रूठ गई है आज कल मुझसे, तेरे जाने के बाद अब बस मुझे रोना आता है।
19- कांच की तरह चुभते हैं हम आँखों में उनकी, हम आँखों में जिनकी तस्वीर लिए फिरते हैं।
20- तू क्या जाने भीड़ में भी खुद को अकेले पाने का मतलब, तुझे तो भीड़ को पाने से मतलब है ना।
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21- आवाज़ उसे चुभने लगी थी मेरी, मैं यूँ ही नहीं खामोश रहने लगा हूँ।
22- दिल से बात करने में और दिल रखने के लिए बात करने में फ़र्क़ होता है।
23- खामोशी खामखा नहीं पाली है मैंने, मेरी आवाज़ को हर दफा दबाया गया है।
24- दिन से भागकर रातों में रुकने लगा हूँ, जिनकी नज़रों में सुकून था कभी आज उनकी नज़रों में चुभने लगा हूँ।
25- सितम मिले जख्म मिले, सर दर्द की तरह हमे सनम मिले।
26- जिसके ख्याल में हम कुछ और कर ना सके, वो कहते हैं तुमने मेरे लिए किया ही क्या है।
27- जब कोई साथ देने वाला नहीं होता तब तन्हाईया चुभा करती है।
28- इतने साल बाद भी यादें भुलाई नहीं जा रही, तन्हाई लाखों की भीड़ में भी तन्हाई छुपाई नहीं जा रही।
29- मैं क्या सुनाऊंगा दास्ताँ दिल की, मुझे उसने कुछ कहने लायक ही नहीं छोड़ा।
30- एक वो था जो बदल गया, एक मैं था जो बिखर गया, एक वक़्त था जो गुज़र गया।
31- हम पर जो गुज़री अगर गुज़र जाए तुम पर सच गुज़र जाओगे।
32- कभी इश्क़ के दरिया में तैरने वाले आज गम के आलम में डूबे रहते हैं।
33- आवाज़ नहीं आती दिल टूटने पर, जो आती तो सुनाने वाले भी बेहरे हो जाते।
34- लोग काँटों से बच के चलते हैं, मैं ने फूलों से ज़ख़्म खाए हैं.
35- हम फूल को छूने गए काँटों से बेखबर होकर, हमे ज़ख्म ही मिले हैं मोहोब्बत में सबर खोकर।