थक गया हूँ शायरी

थक गया हूँ शायरी

1- तुम्हे शौक़ होगा नएपन का मुझे आज भी पुराने दिनों को याद करना अच्छा लगता हैं।

थक गया हूँ ऐ ज़िन्दगी शायरी

2- जब कोई सहारा देने वाला नहीं होता तब इंसान खुद का सहारा बनना सीख जाता है।

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3- अंधेरों के दौर से गुज़र रही है ज़िन्दगी, लगता है गुज़र जाएंगे उजाले की आस में।

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4- कभी सब ठीक तो कभी सब खराब लगता है, कभी हल नही मिलते सवालों के कभी सब लाजवाब लगता है।

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5- एक अरसा हो गया है तेरे इंतज़ार में अब लगता है मेरा ही जाने का वक़्त आ चूका है।

6- पता नहीं किस और ले जा रही है ज़िन्दगी, ना खबर कोई ना पता कोई।

7- यूँ ही नहीं सर झुका कर चलता हूँ लोग ताने मारते हैं सर उठाने वालों पर।

8- कोई मिलेगा तो छिड़केगा ज़ख्मों पर नमक मेरे मैं इसी वजह से सबसे नज़रें चुराता हूँ।

9- तब तबियत खराब होने के आसार बढ़ जाते हैं जब सभी को पता लग जाता है ठीक हो तुम।

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10- कुछ ऐसे मोड़ पर ले आई है ज़िन्दगी जहाँ ना आगे बढ़ सकता हूँ और ना पीछे लौट सकता हूँ।

11- ज़िन्दगी इतनी सख्त भी ना हो मेरे साथ, की मैं सुन्न हो जाऊं और कुछ सुन ना सकूं।

12- सवालों के घेरे में कट रही है ज़िन्दगी जहाँ मुझ पर उठ रही उंगलिया भी मेरी है और मुझ पर उठ रहे सवाल भी मेरे हैं।

13- दर्द भी अगर नज़र आता तो मुझसे ज्यादा मुझमे दर्द नज़र आता।

14- घडी पर एक निगाह एक दरवाज़े पर, मुझे तेरे आगे कभी अपना ख्याल आया ही नहीं।

थक गया हूं मैं जिंदगी

15- मिलता नहीं सब कुछ ज़िदगी में जो कुछ भी मिले उसमे खुश रहना चाहिए।

16- ज़िन्दगी कभी देख मुड़कर पीछे भी, क्या थी और क्या हो गई है तू।

17- अब हर क़दम चल रहे हैं फूंक फूंक कर, जो कभी बेझीखक दौड़ा करते थे

18- हर रात एक खौफ में सोता हूँ मैं नाजाने ज़िन्दगी अब और क्या दिन दिखा दे।

19- गुज़ारिश है तुझसे ज़िन्दगी ज़्यादा दर्द ना दे मैं गुज़र जाऊंगा।

20- सवेरे पूछता हूँ खुद से वजूद खुद का रात को खुद का वजूद मिटाने की सोचता हूँ।

21- क़िस्मत वाले ही अक्सर कहा करते है क़िस्मत जैसी कोई चीज़ नहीं होती।

22- सब सही ही लगता है शुरुवात शुरवात में फिर नाजाने क्यों सब बर्बाद लगने लगता है बाद में।

23- आँखों की बरसात में सिर्फ भीगा जा सकता है इनसे भागा नहीं जा सकता।

24- वजह होती है रिश्तों के बने रहने के पीछे, प्यार क्या होता है मुझे मालूम नहीं।

25- तरस आता है अब तो तरस को भी मुझ पर, बस तुझको ही मुझपर तरस नहीं आता।

26- जब कोई तुम्हारी मदद ना कर रहा हो तब अपने आप को ही खुद की मदद करनी पड़ती है।

27- निगाह भर आई मेरी उसे देखते देखे मगर उसने एक निगाह भर भी मुझे नहीं देखा।

28- ताल देता हूँ उसे हादसा कहकर जिस बेवफाई में हाथ तेरा था।

29- कुछ चीज़े याद करने पर भी याद नहीं आती, कुछ याद रह जाती है भुला देने के बावजूद।

30- यक़ीन कहाँ है किसी को किसे पर, वो तो काम बाकी रह जाता है इसीलिए रिश्ता नहीं टूटता।

31- ज़िन्दगी का हिसाब समझ नहीं आता, जो करती है ये खुद करती है और अंजाम मुझे भुगतना पड़ता है।

32- थक गया हूँ तेरे इम्तेहान से ऐ-ज़िन्दगी ऐसा कर की अब तू मुझे fail ही कर दे।

33- थक गया हूँ तेरी नौकरी से ऐ ज़िन्दगी, बेहतर होगा तू मेरा हसाब कर दे।

34- कैसे कह दूँ की थक गया हूँ मैं, नाजाने किस किस का हौसला हूँ मैं।

35- जो मांगता है खैरियत औरों के लिए उसे खुद खैरियत किसी ने खैरियत खैरात में दी है।

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