35 Finest फकीरी शायरी

फकीरी शायरी

1- तू माना की मुझ फ़क़ीर की ज़िन्दगी में नहीं, मगर मेरे दिल से तुझे कोई नहीं निकल सकता।

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2- पैसों वालों के पास सब हो सकता है जनाब मगर फ़क़ीरों से मस्त ज़िन्दगी नहीं।

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3- इस दुनिया की दुनियादारी में मेरा मन नहीं लगता, मैं तो वो फ़क़ीर हूँ जो अपनी ही दुनिया में जीता है।

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4- मेरा शरीर तो हैं जी रहा मोह-माया में मगर मेरा मन फ़क़ीर हो चला है।

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5- मेरी फ़क़ीरी इतनी महंगी है जनाब, की पैसा उसे पैसों में खरीद नहीं सकता।

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6- अपनी ही दुनिया का राजा अपनी ही दुनिया का वज़ीर हूँ मैं, गरीब मत कहो मुझे एक फ़क़ीर हूँ मैं।

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7- मिलता सभी के साथ हूँ मगर जुड़ता किसी भी संग नहीं, तंगी कितनी भी हो कर सकती एक फ़क़ीर को तंग नहीं।

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8- ना पैसा ना पैसे की फ़िक्र, बस इसी वजह से फ़क़्र होता है मुझे फ़क़ीरी पर।

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9- फ़क़ीर हूँ जनाब बड़े घर में नहीं रहता, मैं मजे में रहता हूँ।

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10- दुनिया के रंग में ना रंग सका मैं क्यूंकि मैं फ़क़ीर हूँ गिरगिट नहीं।

11- लाख पैसे चढ़ा ले अमीर खुदा की खिदमत में, खुदा फिर भी ज्यादा क़रीब फ़क़ीर के होता है।

12- मैं फ़क़ीर हूँ जनाब दिल वालों को पसंद करता हूँ पैसे वालों को नहीं।

13- अमीर के पास अपना घर होता होगा मगर फ़क़ीर के पास अपना ज़मीर होता है।

14- रोने का कोई मतलब नहीं बस हसने की वजह है, सह फ़क़ीर होने का भी अपना ही मज़ा है।

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15- एक अजीब सा नशा है मेरी फितरत में, तू मेरा खुदा है और मैं तेरी खिदमत मैं।

16- नान अरीब हूँ ना रक़ीब हूँ मैं, एक सीधा साधा फ़क़ीर हूँ मैं।

17- इस मतलबी दुनिया से कभी हमारा भी राब्ता था, फिर जब हकीकत देखी तो फ़क़ीर हो गए।

18- मैं फ़क़ीर हूँ मेरा सब से रिश्ता है मगर किसी से मतलब नहीं।

19- सब मिल गया मगर तू नहीं तो फिर अमीरी ही क्या है, तू है और कुछ भी नहीं तो फिर फ़क़ीरी ही क्या है।

फकीरी शायरी

20- फ़क़ीर कभी खुदा से कुछ मांगता नहीं मगर फिर भी फ़क़ीर को किसी चीज़ की कमी महसूस नहीं होती।

21- घर दीं दुनिया सब छोड़ देता है फ़क़ीरी जिसे रहने की जगह दे देती है।

22- किसी से मेरा लेना देना कुछ भी नहीं, मेरे तो मिज़ाज में ही फ़क़ीरी है।

23- इस माया का मायादार नहीं हूँ मैं, फ़क़ीर हूँ जनाब कंगाल नहीं हूँ मैं।

24- अमीरों के पास पैसा होता होगा, फ़क़ीरों के पास खुदा होता है।

फकीरी शायरी

25- इस दुनिया से बेकदर बेफिक्र हूँ मैं, कोई बड़ा आदमी नहीं फ़क़ीर हूँ मैं।

26- बड़ा कौन है भला वो अमीर जिसके पास पैसा है या फिर वो फ़क़ीर जिसके पास खुदा है।

27- दीन दुनिया से खुद को काफी दूर रखता हूँ, क्या करूँ मैं भी फ़क़ीरी का फितूर रखता हूँ।

28- खामखा लगा था दुनिया का बनने में मैं असली मज़ा तो कम्बख्त फ़क़ीर बनने में है।

29- मैं फ़क़ीर हूँ जनाब ख़ुशी के लिए जीता हूँ पैसों पर नहीं मरता।

फकीरी शायरी

30- बनना है तो फ़क़ीर की तरह ना कोई फ़िक्र करने वाला और ना किसी की कोई फ़िक्र होती है।

31- उठने के लिए सहारा नहीं लेना पड़ता नौकरों का, मैं फ़क़ीर हूँ लिहाज़ ही नाही करता कुछ ठोकरों का।

32- फ़क़ीर का कोई और रिश्ता कोई और रास्ता नहीं होता, वो तो इंसानियत का ही रिश्ता रखता है और इंसानियत के ही रास्ते पर चलता है।

33- फ़क़ीरी के फितूर में मस्त रहते हैं हम, ना किसी की सुनते हैं हम ना किसी को कुछ कहते हैं हम।

34- फ़क़ीर को खुश देख एक रईस यही सोचता है की कोई पागल होगा, मगर सच तो ये है की एक पागल को सब पागल ही लगते हैं।

35- गरीबी और फ़क़ीरी में फ़र्क़ बस इतना ही है की फ़क़ीर मिज़ाज होता है और गरीब इंसान होता है /

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