
1- तेरे लिए शायरी क्या बनाई जाए सनम, तुझे तो खुद खुदा ने शायरी सा खूबसूरत बनाया है।

2- तुझे जो देख ले शायर बन जाए, तुझपर जो लिख दे शायरी।

3- तू बात करती है जान देने की, तू जानती नहीं तेरे लिए जी रहे हैं हम।

4- ऐ चाहने वाले रोज़ सोच में आता है कभी सच में भी आ तो मैंने।

5- तेरे लिए तारे लिए खड़ा रहूंगा अंधेरों में भी, शामों को भी सवेरे में भी।
6- नज़रों का मुझे कुछ काम नज़र नहीं आता, जब तक कहीं नज़र नहीं आता।
7- शामें पूछती है पता तेरा सुबह तेरे आने का वक़्त पूछती है, दिन चुप्पी में गुज़रता है रातें तेरे बारे में सब पूछती हैं।
8- तेरे लिए क्या कर सकता हूँ पूछ मत, तू ये बता करना क्या है।
9- तेरी ख्वाहिशें जीने की वजह है मेरी, अपनी ख्वाहिशों को मेरे लिए ज़िंदा रखना सनम।

10- तेरे किए गए कत्लों का कोई गवाह भी नहीं, तेरे इश्क़ के बुखार की कोई दवा भी नहीं।
11- तू तो होगी ही आगे ज़माने से फिर, तेरे पीछे सारा ज़माना जो है।
12- तुझे पता ही तो नहीं की पता तेरा कितने लोग ढूंढ रहे हैं, हमसे पूछ हमसे कितने लोग तेरे बारे में पूछ रहे हैं।
13- एक बार को छोड़ी जा सकती है लत शराब की मगर तेरा नशा नामुमकिन है छोड़ना।
14- तुझे पाने की ख्वाहिश में अगर खुद को खो भी दिया तो क्या गम है, तुझे कुछ ना हो इस चक्कर में हमे कुछ हो भी गया तो क्या गम है।

15- रास नहीं आते वो रास्ते अब हमे, जिन पर तेरा आना जाना नहीं होता।
16- रिश्तों की लकड़ी को दिमाग खा गया फिर ये यादों की ताबूत क्यों तारो-ताज़ा है।
17- चेहरे हस्ते रहे दिल उदास रहा, मैं खुश तब तक ही था जब तक तेरे पास रहा।
18- किसी से दिल इतना लगाना भी ठीक नहीं की उसके बिना कहीं दिल ही ना लगे।
19- तू जब से गई हाथ छोड़ कर हथेली तब से खाली है, तू जब से गई है दिल से दिल की हवेली तब से खाली है।

20- नाराज़ मत होना जो नाराज़ कर दूँ तुम्हे, क्यूंकि गुस्से में सनम तुम गज़ब का गज़ब ढाती हो।
21- पता लगा की तुम्हे पता नहीं मेरे बारे में, तुम्हे पता नहीं शायद की लोग मुझे तुहारा ाशक कह कर बुलाते हैं।
22- तेरा नज़रों से दिल को छू लेने का हुनर कमाल का है, तूने जो किया है मेरा कतल कमाल का है।
23- पाएगा हूँ सनम मैं बस प्यार में तेरे वरना तो सारा ज़माना हमे समझदार ससमझता है।
24- बेइन्तेहाँ मोहोब्बत का भी क्या फायदा है, सभी फायदा ढूंढते हैं इसमें क्या फायदा है।
25- याद आती है यादें तेरी आँखें तेरी बातें मेरी, थमी हुई है सांसें मेरी रातें मेरी।
26- हुस्न वालों पर कभी भरोसा ना कीजिएगा उनका कोई एक नहीं हर एक चाहने वाला है।
27- थोड़ा नाराज़ थोड़ा नासाज़ हूँ मैं, जो कुछ कहना चाहता है वो आवाज़ हूँ मैं।
28- उसके हुस्न का खेल ही ऐसा है जो जान की बाज़ी भी लगा दे वो भी हार जाता है।
29- मत पूछ कितना फासला तय कर चूका हूँ तेरे क़रीब आने के लिए, मत पूछ कितना चुप रहा हूँ तुझे कुछ बताने के लिए।
30- क़दम कुछ चलते हैं मेरे तेरी और आने को, जख्म खुद जलते हैं तुझसे चोट खाने को।
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