
1- जब इंसान क़र्ज़ लेता है तो वो अपनी इज़्ज़त को गिरवी रखता है।

2- क़र्ज़ उतना ही देना चाहिए की अगर कोई ना भी लौटाए तो हमे बुरा ना लगे।

3- मदद करके जो एहसान जताया जाए तो फिर वो मदद नहीं एहसान कहलाता है।

4- अपनों से कभी क़र्ज़ नहीं लेना चाहिए, क्यूंकि अपने ब्याज नहीं बल्कि इज़्ज़त ले लेते हैं।

5- किसी से वक़्त और क़र्ज़ लेने से पहले सो बार सोच लेना चाहिए।
Karz Shayari
6- क़र्ज़ वो दरिया है जिसमे कोई एक बार डूब गया तो उससे निकल पाना नामुमकिन हो जाता है।
7- माँ बाप जो बच्चे के लिए करते हैं वो क़र्ज़ है और जो बच्चा माँ बाप के लिए करता है वो उसका फ़र्ज़ है।
8- दुनिया के दो बोझ जो दीखते नहीं है मगर सबसे भारी होते हैं, एक ज़िम्मेदारियों का बोझ और एक कर्ज़े का बोझ।
9- गाड़ियों के नीचे दबकर मरना लाख बेहतर है क़र्ज़ के नीचे दबकर मरने से।

10- प्यार हो या फिर नफरत सब सूत समेत लौटानी चाहिए।
11- तुम्हारा किया तुम्हारे ही सिर जाएगा, तुम जितना कर्ज़ा उठाओगे तुम्हारा दर्जा उतना ही गिर जाएगा।
12- चाहे कितने भी बड़े घर में रह लो वो घुटन में ही रहते हैं जो क़र्ज़ में रहते हैं।
13- कर्ज़े के करोड़ों होने से बेहतर है की मेहनत के चार आने हों।
14- इससे बड़ी नसीहत कोई नहीं है, याद रखना कर्ज़े से बड़ी मुसीबत कोई नहीं है।

15- क़र्ज़ में डूबा हुआ आदमी और फ़र्ज़ से बंधा हुआ आदमी दोनों ही कुछ नहीं कर सकते।
Karz Quotes
16- आप दुनिया से कितना भी क़र्ज़ लेलो, माँ बाप के एहसानों के उधार हो उतार नहीं सकते। ‘
17- क़र्ज़ वो कष्ट है, जो कर देता इंसान को नष्ट है।
18- क़र्ज़ की अमीरी से बेहतर तो गरीबी और फ़क़ीरी है /
19- इज़्ज़तदार को भी बेक़द्र लार देता है, क़र्ज़ वो हश्र कर देता है।

20- क़र्ज़ उस कलंक की तरह है जिसे जितना चाहे धो लो मगर उतरता नहीं है।
Karz Status
21- क़र्ज़ के इलज़ाम से बेहतर की इंसान क़त्ल के इलज़ाम अपने सर लेले।
22- गम के तने क़र्ज़ है ऊपर मेरे की खुशियों का सौदा करना पड़ता है।
23- क़र्ज़ होता तो उतार भी देते, कम्बख्त तेरा इश्क़ था चढ़ा ही रहा।
24- क़र्ज़ जिसकी लकीर होती है, उसकी कहाँ फिर कदर होती है।

25- इश्क़ वो क़र्ज़ है जनाब, ये उसे चुकाना पड़ता है जो इसे दुसरे को देता है।
क़र्ज़ पर सुविचार
26- क़र्ज़ तुम्हारे ऊपर से तब तक नहीं उतरेगा जब तक तुम कब्र के अंदर नहीं चले जाते।
27- क़र्ज़ तो चूका भी सकते हैं जनाब, मगर एहसान का बोझ ताउम्र लिए फिरना पड़ता है।
28- एक ऐसा बोझ इस दिल पर तेरे इश्क़ ने दाल दिया है, की अब ऐसा लगता है किसी से मैंने उधार लिया है।
29- क़र्ज़ मेरी मोहोब्बत का कुछ इस क़दर अदा किया, की मोहोब्बत तो मैंने की उसके बदले में उसने देगा किया।

30- दवा नहीं है जिसकी वो मर्ज़ है इश्क़, उतरता ही नहीं जो कभी वो क़र्ज़ है इश्क़।