30+ Majboori Shayari

1- मुस्कान के पीछे दुख छिपाते, देखा है मैंने गरीबों को ताब्यत खराब है के परदे के पीछे भूख छिपाते देखा है

2- गिर जाना पड़ता है किसी के पैरों में, इंसान हालातों के हाथों इतना मजबूर हो जाता है।

Majboori shayari

3- इंसान अपने आप को बस समझदार समझ सकता है लेकिन किसी की मजबूरी नहीं समझ पाता।

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4- लाचार और थोड़ा मजबूर हूँ मैं, एक वक़्त की रोटी के लिए तरसने वाला एक मजदूर हूँ मैं।

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5- अपने हाथों से अपने सजाए खाबों को तोडना पड़ता है, गरीब होना इतना भी आसान नहीं है।

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6- सोचता हूँ वो बच्चा कितना मजबूर होगा जो खेलने की उम्र में खिलोने बेच रहा था।

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7- मिज़ाज नहीं था नौकर बनने का मेरा, हालातों ने मुझसे फिर भी कुछ काम मजबूरी में करवा दिए।

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8- दिखता हूँ की बहार से मजबूत हूँ मैं, मगर मैं ही जानता हूँ अंदर से कितना मजबूर हूँ मैं।

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9- मजबूरी तो सभी की है कोई ना कोई, बस मजबूरी का मंज़र अलग है वो अलग बात है।

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10- जो हैं नहीं वो भी बनना पड़ता है, मजबूरी है साहब करना पड़ता है।

11- यूँ ही नहीं रखता कोई काली दुनिया में क़दम, मजबूरियां इंसान को खींच लेती है।

12- मजबूरी सुलाती है सड़कों पर लोगों को, किसी को लेटने में सड़कों पर मज़ा नहीं आता।

13- मुझे छोड़ने की वजह मजबूरी बताई उसने, मजबूरी क्या थी उसने ये नहीं बताया।

14- अपना बनाकर फिर कुछ दिन में बेगाना बना दिया, भर गया दिल सो मजबूरी का बहाना बना दिया।

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15- किसी से मिलता नहीं इसका मतलब ये नहीं की मगरूर हूँ मैं, बस अकेला रहना चाहता हूँ थोड़ा मजबूर हूँ मैं।

16- कुछ भी करने को मंज़ूर हो जाता है, आदमी हालातों के आगे इस क़दर मजबूर हो जाता है।

17- कुछ रास्तों की और जाने की वजह मंज़िल नहीं मजबूरी भी होती है।

18- तेरी खामोशी अगर तेरी मजबूरी है, तो रहने दे इश्क़ कौनसा ज़रूरी है।

19- बेबसी वहां भी ले जाती है इंसान को जहाँ उसने जाने की कभी सोची भी नहीं होती।

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20- किसी की मजबूरी का फायदा मत उठाना, ज़िन्दगी मौका देती है तो धोखा भी देती है।

21- वो लोग उड़ाते हैं मेरे चाल ढाल का जो मेरे जूते में कभी चार क़दम चल भी नहीं सकते।

22- हाथ पैर वाले भी भीख मांगते है ये मजबूरी नहीं बेशर्मी है।

23- मजबूर तो सभी है हालातों के आगे, पर क्या करें पीछे हटे तो ज़माना हसेगा।

24- मजबूर की कोई मदद नहीं करता एहसान करते है जो चुकाना पड़ता है।

25- उठाने तो कोई नहीं आता मगर एक मजबूरी में गिरे शक़्स के चार फायदे उठाने सब आ जाते हैं।

26- हमारे खाबों को मारने में कोई और नहीं ज़िम्मेदारियाँ ज़िम्मेदार है।

27- नज़र नहीं आती मजबूरी किसी को हाँ मजबूर में सबको अपना फायदा नज़र आता है।

28- कुछ भी कर सकता है इंसान अब क्या करें मजबूरी में कुछ और भी तो कर नहीं सकते।

29- इलाज ये है की मजबूर कर दिया जाऊं, वरना यूँ तो किसी की सुनी नहीं हमने।

30- मजबूरियां मजबूर करती है मांगने पर, शौक़ से किसी के आगे कोई हाथ नहीं फैलता।

31- जब वजह न मिले किसी के कुछ करने की समझ लेना कोई मजबूरी है।

32- आंसू आएँगे तो मज़ाक बनेगा इसीलिए मजबूरी में मुस्कुराना पड़ता है।

33- फुर्सत नहीं है सांस लेने की भी, बस क्या बताएं कितनी मजबूरी में जी रहे हैं हम।

34-नाजाने क्यों उनकी जुबां पर मेरा नाम आया होगा, ज़रूर उन्हें कोई काम आया होगा।

35- तुझे ज़िन्दगी तो बना लिया फिर तेरे जाने के बाद मजबूरी में ज़िंदा रहना पड़ा हमे।

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