
1- इंसान खुद से रूठ जाए किसी को मानते हुए, इतनी बेरुखी भी ठीक नहीं।

2- बेरुखी, बेबसी, बेहिसी, इन्ही चंद शब्दों से क़िस्मत मेरी लिखी हुई।

3- तेरी बेवुखी की कोई वजह क्यों नहीं होती, तुझे मुझसे वफ़ा क्यों नहीं होती।

4- तेरी बेरुखी का ही अंजाम है ये, की अब मैं खुद से भी नाराज़ रहने लगा हूँ।

5- तू बेधड़क अपनी बेरुखी दिखा, हम फिर भी बेइन्तेहाँ बेवफा तुझे चाहते रहेंगे।

6- तेरी बेरुखी के मारे हुए हैं हम, सांस तो ले रहे हैं मगर जी नहीं पा रहे।

7- अभी कमज़ोर हूँ तो कमज़ोर ही रहने दे, यूँ बेरुखी से तो मैं भी पत्थर हो जाऊंगा।

8- उसके रुख से बस बेरुखी मिली हमे, हम फिर भी उसकी और ही चलते रहे।

9- अगर समझ पाते बहते जज़्बात मेरे तो इतनी सख्त बेरुखी ना करते, जान जाते जो क्या क्या करते हैं तेरी ख़ुशी के लिए तो हमे तुम सनम इतना दुखी नहीं करते।

10- बस लहज़ा ज़रा सख्त है मेरा दिल आज भी नरम है तेरे लिए।
11- बात भी नहीं करते तुम मुझसे, आखिर इतनी बेरुखी किस बात की है।
12- तेरी बेरुखी के सताए हम, अब भला और कितना दर्द इस दिल में दबाएं हम।
13- वो लफ्ज़ कहाँ से लाऊँ जो तुझको मोम कर दे, मेरा वजूद पिघल रहा है तेरी बेरुखी से।
14- हमे उसकी बेरुखी तक मंज़ूर है, उसे हमारी वफ़ा तक रास नहीं आती।

15- इतनी ज़िल्लत उठाई है एक शख्स से हमने ज़माने में, मैं खुद से रूठ चूका हूँ उसे मानाने में।
16- अपनी बेरुखी का राज़ बेपर्दा तो कीजिए जनाब, इतने बेपरवाह है तो थोड़े और सही।
17- उसकी बेरुखी भी लाजवाब है जनाब, वो कुछ कहता है अगर तो बस बुरा भला कहता है।
18- उस पत्थर दिल की बेरुखी पर तो मेरी आँखों का आंसू तक नहीं ठहरता।
19- हम तो ना सिखा सके उसे मोहोब्बत, उसने बेरुखी कर कर के हमे बेरुखी सिखा दी।

20- सोचा तह बदल देंगे तेरी बेरुखी को मोहोब्बत में, तूने तो हमारी ही मोहोब्बत को नफरत में बदल दिया।
21- पहाड़ियों की तरह खामोश है आज कल के रिश्ते, जब तक हम ना पुकारें उधर से आवाज़ नहीं आती।
22- इस बेरुखी के बाजार में कहाँ मोहोब्बत बांटने निकल गए हम, इन नफरत के बाज़ारों में कहाँ हम मोहोब्बत मांगने निकल गए।
23- उसमे और मुझमे फ़र्क़ बस इतना ही है की वो बातें मन में रखता है और मैं दर्द दिल में।
24- रिश्तों में इतनी बेरुखी भी अच्छी नहीं, देखना कहीं मनाने वाला ही ना रूठ जाए तुमसे।

25- हम नज़रों से गिर गए अपनी ही, मगर उसकी बेरुखी अभी कहाँ झुकी है।
Berukhi Shayari in Hindi
26- तुझे जान क्या बना लिया हमने, हमारी ज़िन्दगी बेरुखी हो गई है।
27- बेरुखी है तो ज़ाहिर करो सनम, ये चुप्पी मुझे तोड़ रही है।
28- तेरा अंदाज़ा-ऐ-बेरुखी भी हमे भा जाता है, तू चाहे जितनी नफरत करे हमे तुझपर प्यार आ जाता है।
29- बेखबर थे तेरी लहज़ा-ऐ-बेरुखी से हम, वरना अपनी मोहोब्बत हम तेरे आगे कभी ज़ाहिर ही ना होने देते।
30- यूँ तो आते नहीं हमारी नज़रों के आगे कभी, और आते भी है तो बड़ी बेरुखी से पेश आते हैं।
31- उसकी बेरुखी ने छीन ली मेरी शरारतें, लोग समझते हैं सुधर गया हूँ मैं।
32- ये तेरी बेरुखी है या फिर तेरा किरदार ही ऐसा है, कभी कभी मुझे लगता है तेरा प्यार ही ऐसा है।
33- लाख बेरुखी के बाद भी मोहोब्बत एक कम ना हुई, नफरतों के तोहफे पाते पाते भी उससे मोहोब्बत ख़त्म ना हुई।
34- सौ बातें बेरुखी में कही एक बात मोहोब्बत की क्यों नहीं कहते, या फिर मोहोब्बत है ही नहीं तुम सीधे सीधे क्यों नहीं कहते।
35- ज़िन्दगी क्यों इतनी बेरुखी कर रही है, हम कौनसा बार-बार आने वाले है यहाँ।