35 Precious Tajurba Shayari (तजुर्बा शायरी)

तजुर्बा शायरी

1- सोने चांदी से भी क़ीमती होती है तजुर्बे की क़ीमत, मगर उसका इस्तेमाल ना किया जाए तो लग जाती है उसपर भी दीमक।

तजुर्बा शायरी

2- ज़िन्दगी यूँ ही नहीं मुश्किलों का क़स्बा देती है, ज़िन्दगी पहले मुश्किलें देती है उसके बाद तजुर्बा देती है।

तजुर्बा शायरी

3- तजुर्बा ही ज़िन्दगी का तर्जुमा है।

तजुर्बा शायरी

4- क्या हुआ जो कोशिशों का काफिला कुर्बान हुआ, काफी नहीं क्या जो तजुर्बा हुआ।

तजुर्बा शायरी

5- ज़िन्दगी में चीज़ें पैसे लगाकर मिलती है, मगर तजुर्बा ज़िन्दगी लगाकर मिलता है।

तजुर्बा शायरी

6- हर आशिक़ का यही तजुर्बा होता है, मोहोब्बत का अंत बस धोका होता है।

तजुर्बा शायरी

7- अपनों ने दिया है ये तजुर्बा मुझे, की सभी पराए हैं।

तजुर्बा शायरी

8- हार और जीत सब झूठ होता है सच तो बस तजुर्बा होता है।

तजुर्बा शायरी

9- एक तजुर्बा ऐसा भी ज़रूरी था, उसका मुझे नज़रअंदाज़ करने का लहज़ा भी ज़रूरी था।

तजुर्बा शायरी

10- गलतियों को कैसे गलत कह दे, जब गलतियों की दूकान से ही तजुर्बा मिलता है।

11- वफ़ा के चक्कर में कई बार बेज़ार हुआ हूँ, मैं यूँ ही नहीं मैं तजुर्बेकार हुआ हूँ।

12-ज़िन्दगी क्या है एक तजुर्बा ही तो है, जैसे ही पूरा मिल जाएगा हम अपनी ज़िन्दगी खो देंगे।

13- नफरत पर हंसी और प्यार पर ताज्जुब होता है, ऐसे ही होता है जब बार बार दिल टूटने का तजुर्बा होता है।

14- हंसना भी ज़रूरी है रोना भी ज़रूरी है, हर चीज़ का तजुर्बा होना भी ज़रूरी है ।

तजुर्बा शायरी

15- तजुर्बेदार लोगों से तजुर्बा हुआ है, की इश्क़ की गली में जो भी गया कुर्बान हुआ है।

16- तजुर्बा उम्र देखकर नहीं हालात देखकर आता है।

17- तजुर्बा कर चूका हूँ मैं धोका खाने का, बस इसीलिए अब मोहोब्बत की भूख नहीं लगती।

18- ज्यादा तजुर्बा तो नहीं मेरे पास मगर सुना है की दिल लगाने का अंजाम बुरा ही होता है।

19- तजुर्बा होने पर मालूम पड़ता है, इश्क़ की खाई में बस मासूम पड़ता है।

तजुर्बा शायरी

20- इंसान जो तजुर्बे दार होता है वो जानता है की प्यार कितना बेकार होता है।

21- काम के थे हम भी कभी, प्यार में क्या पड़े बेकार हो गए।

22- आज एक नौसिखिए लड़के को झुर्रियों वाले बाप को कहते सुना आप नहीं समझ पाओगे।

23- बस आँखें ही तो नहीं होती वरना देखा तो अंधे ने भी बहुत कुछ होता है अपनी ज़िन्दगी में।

24- गरीबी का बचपन भी आसान कहाँ, बहुत कुछ देखना पड़ता है उन छोटी सी आँखों से।

तजुर्बा शायरी

25- नए शहर नए कसबे होंगे, थोड़ा घुमा फिरा भी करो नए तजुर्बे होंगे।

26- बुज़ुर्गों की बातें ज़रा गौर से सुना कीजिए, वो बातें ज़ुबान से नहीं तजुर्बे से कहते हैं।

27- बातों क बनावट में कुछ अलग ही नकाशी है तुम बातूनी मुझे तजुर्बेकार लगते हो।

28- लोग पूछते हैं हारकर फिर कोशिश करने से भला क्या मिलता है, मैं कहता हूँ जीतना कैसे है ये तजुर्बा मिलता है।

29- चलते रहिए ज़िन्दगी के सफर में, कब कहाँ से क्या तजुर्बा मिलेगा कोई नहीं जानता।

तजुर्बा शायरी

30- तजुर्बा तो हर और मिलेगा, तुम्हे किस और जाना है राही।

31- एक बात सीखी है मैंने तजुर्बे से की सीखने की कोई उम्र नहीं होती।

32- तजुर्बा वो गहना है जनाब जो लिया तो जा सकता है मगर छीना नहीं जा सकता।

33- हार और जीत मिले ना मिले ये तो तय है की कुछ भी हो जाए तजुर्बा मिलेगा।

34- पहले पहल तो गलती होती है जनाब फिर कहीं जाकर तजुर्बा होता है।

35- कुछ को दौलत तो कुछ को रुतबा मिला, मैं भी खाली हाथ ना रहा मुझे तजुर्बा मिला।

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