
1- ये क़िस्मत हाथ में होकर भी तो हाथ आती नहीं, नींद आए सुकून की एक दिन ऐसी भी तो रात आती नहीं।

2- रातों को अपने सपनों को मार कर, जाग रहा हूँ हालातों से हार कर।

3- तुझे पाने की ख्वाहिश में कहीं मैं ना खो जाऊं, इस काली रात की तरह मैं कहीं राख ना हो जाऊं।

4- जब भी आँगन में मेरे रात आती है, नींद तो आती नहीं बस तेरी याद आती है।

5- बस तेरे ही ख्यालों में खोए हुए, नाजाने कितने दिन बीत गए बिना सोए हुए।
6- रात होती है तो दिल बैठ जाता है, सवेरे उठता हूँ तो वजूद पर सवाल उठते हैं।
7- तेरी ही तरह हो गई है नींद भी मेरी, कितना भी चाहो आती ही नहीं।
8- दिन जला रहा है मुझे और रात राख कर रही है, ज़िंदगी तू जीना मेरा दुश्वार कर रही है।
9- जब से तू किसी और से मिलने लगा है, उजालों में डर और अंधेरों में सुकून मिलने लगा है।

10- ज़िन्दगी इतनी बर्बाद हो गई है, जैसे कच्ची सड़कों के लिए बरसात हो गई है।
11- वो डर रहे थे ये कहकर की मुझे डरावने सपने आते हैं, हमे तो कम्बख्त नींद भी नहीं आती।
12- जो तू इन नज़रों को नज़र आ जाए, थोड़ा तो इस दिल को सबर आ जाए।
13- रातें कई देखी है इन आँखों से मैंने, मगर तेरे दिल से काला तो और कुछ नहीं सनम।
14- कई रातों को खुली आँखों से सवेरा होता देखा है, अपनी ही आँखों से मैंने बुरा हाल मेरा होते देखा है।
15- खुली आँखों रातों को सवेरा होते देखने का शौंक नहीं मुझे, कम्बख्त नींद ने ही आना आँखों में बंद कर दिया है।

16- तनहा ख्यालों से मेरी जाती है आँख भर, गीले तकियों में भला कहाँ नींद आती है रात भर।
Andheri Raat Shayari
17- उजाला तो ज़माने के लिए होता है जनाब, हमारे तो सवेरे भी अँधेरे में गुज़र रहे हैं।
18- रात तू भी बड़ी बेगैरत है किसी को ख़्वाबों की बारात दे देती है तो किसी को नींद तक नहीं देती।
19- हर रात को मांगता हूँ मौत की दुआ, ये ज़िन्दगी की मार अब झेली नहीं जाती।
20- हम जागते रहते है रात सोती रहती है, तुझे पाने की ख्वाहिश में सुकून की नींद कहीं खोती रहती है।

21- एक ही ख़्वाब ने हर रात जगाया है, मैंने हर करवट सोने की कोशिश की।
22- वो दौर अच्छा था जब रात तेरे संग गुज़रती थी, अब तो सोचते हैं रात गुजरने से पहले हम गुज़र जाए तो बेहतर होगा।
23- उन्हें हमसे मिलने के लिए दिन भी ना मिला रात भी ना मिली, खामोशी से गुज़र गए दो मुसाफिर उन्हें करने को बात ही नहीं मिली।
24- जब से तुझसे जुड़ने वाला हर वास्ता कट गया मेरा, दिन से दुश्मनी हो गई और रातों से राब्ता बढ़ गया मेरा।
25- सारे ज़माने को रातें आती है सुलाने को, फिर मुझे की आखिर क्यों आती है ये राते रुलाने को।

26- ये तिजोरी आँखों की है जनाब, नाजाने कितने आंसुओं के मोती इसने लुटाएं है।
27- ऐ रात तू थोड़ी देर और ठहर जा, की आज आंसू रुक नहीं पा रहे।
28- ये रात ना हो मानो सजा हो उम्रकैद की, हमसे तो जनाब ये काटे नहीं कटती।
Raat ki Shayari (रात की शायरी)
29- दिल खुश जो खानाबदोश था कभी, अब अंधेरों में अपने बसेरे ढूंढता है।
30- एक कब्र मेरी खोद कर बाकी ज़मीन भी ले गया, अपनी यादों को छोड़कर वो मेरी नींद ले गया।

31- आँखों में इतना पानी है जनाब की रात अगर कोई कुआँ होता तो रात भर में रात भर देते हम।
32- आज दिन से ही यादें आने लगी है तेरी, आज रात क्या होगा रात ही जाने।
33- तन्हाई में खुद से ही बातें करते हैं हम, कुछ इसी तरह बर्बाद अपनी रातें करते हैं हम।
34- रात अकेले काटी हो ऐसी कोई अकेली रात तो नहीं गई, चुभी सिर्फ एक बात हो ऐसी भी तो तुमसे एक बात नहीं कही गई।

35- तेरे जाने के बाद सनम, अब मसला भी रातों से है और मोहोब्बत भी रातों से है।