50 zakhmi Shayari

Zakhmi Shayari

1- सुना है मैंने हर चीज़ का इलाज़ है, ये बताओ वो क्या दवा करे जिसका दिल ज़ख़्मी हो।

Zakhmi Shayari

2-अब ना किसी को जख्म दिखाएंगे, लोग मरहम दिखाएंगे और नमक लगाएंगे।

Zakhmi Shayari

3- ज़ख्म कितने है गिनती करूँ कैसे, गणित तो ठीक है पर हालत मेरी ठीक नहीं।

Zakhmi Shayari

4- एक जख्म है जो भरता नहीं दो आँखें है जो सूखती नहीं।

Zakhmi Shayari

5- कुछ तारों सा टूटा हूँ मैं, अनगिनत तारों से जख्म खाएं है मैंने।

Zakhmi Shayari

6- एक भूख है की लगती नहीं एक अकेलापन है जो मुझे खाता रहता है।

Zakhmi SHyari

7- ये जो जख्म हरे है, ये सब अपनों के ही किए धरे हैं।

Zakhmi Shayari

8- ना दवा ना दुआ काम कर रही है, लगता है किसी की बद्दुआ काम कर रही है।

Zakhmi Shayari

9- जख्म इतना गहरा है मेरा की दर्द भी पूरा समां गया है उसमे।

Zakhmi Shayari

10- अपने मिले ना मिले मुझसे, अपनों से ज़ख्म मुझे मिलते रहते हैं।

11- बहार नहीं आता अब तकलीफ से, तकलीफ में रहना अब पसंद आने लगा है।

12- जख्म काफी सितम काफी, सभी के लिए रहा एक सनम काफी।

13- गिले ही इतने है ये आँखें सूखती ही नहीं, ज़िंदगी मुझे दर्द देने का एक मौका चूकती भी नहीं।

14- कितना टूटा हूँ कोई बता नहीं सकता, क्यूंकि हम किसी को बताते ही नहीं।

Zakhmi Shayari

15- भूख मिट गई है मोहोब्बत की अब, मोहोब्बत में हमने इतने ज़ख्म खाए हैं।

16- मोहोब्बत देने का हुनर पर सवाल उठ सकते हैं तुझपर, ज़ख्म देने के हुनर में मगर लाजवाब है तू।

17- दिल के जख्म दीखते भी तो नही, कोई हमपर यक़ीन करेगा भी कैसे।

18- की फिर खुदा भी जोड़ ना सके कुछ इस क़दर टूटा हूँ मैं।

19- नफरत मत करना हमसे बुरा लगेगा, बस ये कह देना तेरी ज़रुरत नहीं।

Zakhmi Shayari

20- नहीं मालूम तेरे आगे मैं कद में कितना हूँ, मगर बता नहीं सकता की मैं दर्द में कितना हूँ।

21- मत पूछ कितना दर्द हुआ तेरे जाने के बाद, तू ना सही तुझसे मिला दर्द अभी तक रखा है मैंने।

22- दर्द काफी दिया तूने मगर, क्यूंकि तूने दिया था तो रख लिया हमने।

23- जिस दर्द से गुज़र रहा हूँ अगर कोई गुज़र जाएगा तो बेशक वो गुज़र जाएगा।

24- जिसका जवाब नहो होता लोग उस सवाल पर ही सवाल खड़े कर देते हैं।

Zakhmi Shayari

25- तू प्यासा था ना खून का मेरे, ले आंसुओं से अब खून बहने लगा है।

26- लोग आज कल ज़ख्म पर पैर रखकर पूछते हैं चोट कहाँ लगी है।

27- ज़ख्म हर दूकान पर मिल रहे हैं, दवा का कोई ठिकाना ही नहीं।

28- मत माँगना किसी से साथ, वो साथ छोड़ जाएगा तुम्हे जख्म देकर।

29- कुछ खाब ज़ख़्मी है आँखों में, आँखों से आंसू नहीं खून बहता है।

Zakhmi Shayari

30- तुझपर सबको ऐतबार इतना है की जख्म खुद भी गवाही देंगे तेरे नाम की लोग तब भी उस पर ऐतबार नहीं करेंगे।

31- दर्द देकर पूछते हो दुखा कहाँ है, तेरे सितमों का तो खुदा गवाह है।

32- मेरे दर्द का मज़ाक बनना ही था, तूने वो सब हसी ख़ुशी में जो दिए थे।

33- जख्म भरेंगे नहीं लगता है अब मेरे दिन भरने से पहले।

34- जिन्हे दिया थे कभी मोहोब्बत का मरहम हमने आज लेटाया है उस एहसान को ज़ख्म देकर।

Zakhmi Shayari

35- रिश्ता आखिरकार ख़त्म हुआ, ज्यादा चोट नहीं आई बस दिल पर मेरे एक ज़ख्म हुआ।

36- जब जहाँ में ज़ख्मों की झाकियां निकलेंगी, एक काफिया तो खुद मेरा ही निकलेगा।

37- क्या हासिल हुआ रखकर दिल तेरे क़दमों में, आज मेरा दिल बस छिपा बैठा है ज़ख्मों में।

38- बस ज़ख्म और सितम, ये मिला है हमे मोहोब्बत में सनम।

39- दिल चोट खा-खाकर ज़ख्म हो चुका है, खैर इतना सार्ड हो चुका है की सुन्न भी दर्द हो चुका है।

Zakhmi Shayari

40- ज़ख्मों पर क्या कहूँ मैं, मेरी जुबां नहीं ये मेरे ज़ख्म कह रहे हैं।

41- चोट दिल पर लगी है और तुम जिस्म पर निशाँ ढूंढ रहे हो, नाराज़ हमे कर के अब तुम रूठ रहे हो।

42- ज़ख्म ज़िल्लत गिले और शिकवे, तुम तो आई नहीं मगर यही सब आए मुझसे मिलने।

43- ज़माने से मिले भी ज़माना हो गया, तूने ना अपनाया तो मैं खुद से भी बेगाना हो गया।

44- चाहर बेइन्तेहाँ बस दर्द बेइन्तेहाँ हुआ,मत पूछ इश्क़ में जख्म मेरे दिल पर कहाँ-कहाँ हुआ।

45- माँगा तो मैंने हाथ था उसका हाथों में, मगर ज़ख्म दे गया वो मोहोब्बत की सौगातों में।

46- बया करून इन ज़ख्मों के दर्द को कैसे, तुझे क्या खोया मुझे तो अलफ़ाज़ भी नहीं मिल रहे।

47- इश्क़ की ये रीत भी नाज़नीन है, इश्क़ में इश्क़ से ज्यादा ज़ख्म लाज़मी है।

48- ज़ख्मों के नज़राने तो लाखों मिले, मगर मोहोब्बत में बस वही ना मिला जिससे मोहोब्बत थी।

49- मोहोब्बत में एक मशवहृ मेरा भी ले लीजिए, दिल लगाओगे तो चोट लग जाएगी ज़रा सोच लीजिए।

50- उस पत्थर दिल से दिल लगाकर सिर्फ ज़ख्म ही लग सके दिल नहीं।

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