
1- हर्ज़ तो अपनों से होता है और हम तो उनके लिए गैर हैं।

2- वो मिलता था तो ख़ुशी मिलती थी मुझे, उसके जाने के बाद तो अब बस गम ही मिलने आता है।

3- वो और मैं दोनों ही नाटक कर रहे थे, मैं बहार से खुश था और वो अंदर से।

4- अब क्या करे वो भी भला, जिसके साथ ज़िन्दगी में सिर्फ बुरा हुआ हो।

5- एक हादसे में मारी गई, बड़ी प्यारी थी मासूमियत मेरी।

6- कोशिशें खामखा ही की उसे पाने की मैंने, खुदा भी कहाँ किसी एक का हुआ है कभी।

7- मैंने सारी उम्र उसकी तलाश में बिता दी, अब खुद समझ नहीं आ रहा है मैं कहाँ खो गया हूँ।

8- जी रहे थे उसे देख देख कर, आज नज़रअंदाज़ हुए तो मौत आ गई।

9- ख्वाहिश खाब दिल अरमान नाजाने क्या क्या टूटे है सिर्फ तेरे एक ना मिलने से।

10- करता रहा दुआ जिसके हक़ में मैं, उसपर हक़ अब कोई और जता रहा है।
11- मुझमे सिर्फ खामिया और उसमे सिर्फ खूबियां थी, हमारे शरीरों में नज़दीकी दिलों में दूरियां थी।
12- एक काफी बोलने वाला शख्स अब खामोश हो गया है, मानो जैसे चलता फिरता शक़्स बेहोश हो गया है।
13- तमाशा बेतहाशा हर तरफ झूठ का है, सच्चा मनाता है और झूठा रूठता है।
14- मुश्किलों का मंज़र दूर क्यों नहीं होता, गरीब के मारे जाने का किस्सा मशहूर क्यों नहीं होता।
15- ढूंढ रहा हूँ उस दिन को, उठूंगा खुश होकर जिस दिन को।
16- ज़िन्दगी आँखों के आगे घट रही है, मत पूछो ज़िन्दगी किस हाल में कट रही है।
17- डूबा गम में सभी को तैरना सीखा रहा हूँ, आँखों पर पट्टी और मैं दूसरों को रास्ता दिखा रहा हूँ।
18- कभी कभी पूछता हूँ खुद से की क्यों तेरे पास कोई पूछने वाला नहीं।
19- जब वक़्त बुरा आता है तो अच्छे अच्छों को बुरा इंसान भी अच्छाई के पाठ पढ़ने लगता है।

20- स्याही आँखों की आंसुओं से बनी है, हर अक्षर नज़म बनेगी।
21- सब कुछ बताकर भी राज़ हूँ मैं, जो सिर्फ दिल वालों को सुनाई दे वो आवाज़ हूँ मैं।
22- एक शक़्स ने कुछ इस क़दर दिल जीता की अपना दिल हार गया मैं।
23- आए एक दिन ऐसे सवेरे लिए, की तू खुद चलकर आए मेरे लिए।
24- कुछ ख्वाहिशें कुछ ख़्वाब हमेशा अधूरे रह जाते हैं कभी पूरे नहीं होते।
25- तेरे जाने के बाद जान तो रही मगर ज़िंदा ना ना रहा।
26- काश होती उसे भी मुझसे मोहोब्बत या फिर मुझे ही उससे नफरत हो जाती।
27- वक़्त जो बीता और वक़्त जो चल रहा है, कोई सम्भला हुआ गिर रहा है तो कोई गिरा हुआ संभल रहा है।
28- दवा दर्द की हर वैद से पूछ रहा हूँ, मैं वफ़ा के मर्ज़ से जूझ रहा हूँ।
29- दर्द आवाज़ और सच को जितना दबाओ वो उतनी ही तेज़ी से उठती है।

30- तुझ तक पहुँचने का रास्ता तो मैं ढूंढ लूँगा मगर तेरे दिल तक पहुँचने की ख्वाहिश शायद अधूरी रह जाएगी।
31- मौत ही तो आती नहीं वरना जीना कौन चाहता है।
32- किसी को नफरत तो किसी को प्यार दिखता है, एक शक़्स कई किरदार निभाता है।
33- वैसा ही सुनने को मिलेगा जैसा जाएगा, तू जैसा बोएगा वैसा ही खाएगा।
34- कोई ज़रूरी नहीं है की पैसे वाला होना ज़रूरी है, संग परिवार और खाने को निवाला होना ज़रूरी है।
35- लोग हाल चाल बस दो ही वजहों से पूछते है, एक जब उन्हें आपकी औकात जाननी हो या फिर दूसरा उन्हें आपसे कोई काम हो।
36- नज़र और दिल साफ़ होने चाहिए, कपड़ों का क्या है वो तो netaon के भी साफ़ ही होते हैं।
37- बड़े दिन में तो कोई भी खुश रह सकता है, लेकिन ज़िन्दगी भर वही खुश रहता है जिसका दिल बड़ा हो।
38- दूरी नज़दीकी ये वक़्त नहीं ज़रूरतें फैसला करती है रिश्ता नहीं।
39- मतलब भी कितना मतलबी है, रिश्ता ख़त्म कर देता है खुद के पूरा होते ही।

40- दिल टूटने से ज्यादा दर्दनाक और शर्मनाक और कुछ भी नहीं।
41- इंसान को हवा में नहीं उड़ना चाहिए क्यूंकि उसे समझना चाहिए वो कितना भी ऊपर उड़ ले ऊपर वाले से ऊपर नहीं जा सकता।
42- दर्द को छिपाना ही बेहतर है क्यूंकि जो दर्द दिखा देता है उन्हें कोई भी दुख देते हैं।
43- वक़्त के सब गुलाम है और वक़्त ही सभी जो राजा या रंक बना देता है।
44- दर्द क्या है उससे पूछो जिसे हुआ है, कुछ पाना क्या होता है उससे पूछो जो कुछ खो चुका है।
45- समझदार बनिए किसी के तरफ़दार नहीं, मददगार बनिए किसी के तलबगार नहीं।
46- क़र्ज़ और लफ्ज़ का इस्तेमाल बहुत सोच समझकर करना चाहिए क्यूंकि इसका खामियाज़ा सूत समेत लौटना पड़ता है।
47- समंदर की गहराई क्या ख़ाक गहरा है कभी नाप के देखिए हमारी बातों की गहराई को।
48- जिसे वक़्त पर वक़्त का तक़ाज़ा ना हुआ, उसे वक़्त ने वक़्त आने पर वक़्त की मार क्या होती है समझाया है
49- कर के होता है क्या वफ़ा का तक़ाज़ा, होता कुछ नहीं बस होता है ग़मों में इज़ाफ़ा।

50- हर बात के पीछे एक वजह होती है, ये मज़ाक वगैरह कुछ नहीं होता।