1- आसमान छूने की ख्वाहिश मेरी नहीं, मैं तो बस तेरा दिल छूना चाहता हूँ।
2- पैर ज़मीन पर और सर बादलों में होगा, मेरा नाम भी शुमार काबिलों में होगा।
3- खाली क्या बैठे हो अभी तो सारा काम पड़ा है, नापने को पूरा आसमान पड़ा है।
4- जब इरादा बना लिया हो ऊंची उड़ान है, फ़िज़ूल है फिर देखना क़द आसमान का।
5- नाम का कद इतना बड़ा होना चाहिए की पांच गली गली नहीं आसमान तक सुनाई देना चाहिए।
6- बुरी आदतों को अपनी सुधार लूँगा मैं, हौसलों से आसमान को ज़मीन पर उतार दूंगा मैं।
7- अभी तो छुआ है कुछ मुकामों को मैंने अभी तो पूरा आसमान बाकी है।
8- अभी तो गाड़े है ज़मीन पर पंजे मैंने, एक दिन बादलों पर मेरे पैरों के निशाँ होंगे।
9- सात समंदर सारे जहानो तक है हौसलों की उड़ान मेरी आसमानों तक है।
10- कितने भी ऊंचे उठ जाओ मगर बैठने तो ज़मीन पर आना होगा, क्यूंकि आसमान में बैठने की जगह नहीं होती।
11- आज जो भी आसमान की ऊंचाइयों पर है इतिहास गवाह है शुरुवात उसने ज़मीन से ही की थी।
12- यूँ ज़मीन पर बैठकर क्या आसमान देखता है, पर खोल ज़माना सिर्फ उड़ान देखता है।
13- ये ज़माना मुझे दबाना चाहता है, मगर ये हौसला मेरा मुझे आसमान तक ले जाना चाहता है।
14- जिसे ऊँचाई से डर लगता हो वो आसमान में क्या उड़ेगा।
15- मैं वो बाज हूँ जो बारिश आने पर भी उड़ने से बाज नहीं आता।
Ooncha Aasman Shayari
16- सितारों के आसमानो को बता देना चाहता हूँ जगह छोड़ दो मेरे लिए मैं भी सितारा हूँ।
17- अगर अरमान आसमानों के हैं तो तो कोशिशें ज़मीनी क्यों है।
18- क्यों कैद हो ख्वाहिशों के कमरों में, बहार निकल कर कोशिश करो पूरा आसमान खुला है।
19- उड़ने डी आसमान में अपने खुले विचारों से, मगर बंधे रहो अपनी ज़मीन के संस्कारों से।
20- जो तेरे सपने और तेरी सोच आसमानों तक होगी, तो एक दिन तेरी पोहोंच आसमानों तक होगी।
21- यूँ जो ताकता है आसमान को तू, कोई रहता है आसमान में क्या।
22- अपनी कोशिशों का तापमान बढ़ा लो, अपना आशियाना आसमान बना लो।
23- और ना अपने अंदर तू डर फैला, आसमान में उड़ परिंदे पर फैला।
24- पैर ज़मीन पर अउ नज़रें आसमान पर रख, जहाँ जाना चाहता है अपने कोशिशों के क़दम वहां पर रख।
25- कम ही लोग पहुँच पाते है ऊँचाई तक, इसीलिए ऊँचाई पर बहुत अकेलापन होता है।
26- आसमान पर भी होंगे मेरे पैरों के निशाँ, मैं छलांग कामियाबी की तनी ऊंची मारूंगा।
27- मैं जहाँ ना भी जाऊं वहां भी मुझको पहचाना जाएगा, ज़मीन से लेकर आसमान तक गुणगान मेरा गाय जाएगा।
28- बादलों का झुण्ड लेकर एक पैगाम आया है, आज ज़मीन से मिलने आसमान आया है।
29- मुझपर लगी बंदिशों की दीवारों को तोडना है, उड़ना है आसमान तक मुझे सितारों को तोडना है।
30- ख़्वाब इतने बड़े है आँखों में मेरे की इन आंखों में पूरा आसमान समां जाए ।
31- अभी तो मैंने चलना शुरू ही किया है अभी तो आसमान को पैरों के नीचे लाना है।
32- इतनी ऊँचाई पे बनाऊंगा अपनी कामियाबी का आशियाना, की आसमान भी वहां से ज़मीन दिखाई देगा।
33- अब तो बड़ी कुछ वारदात होगी, अगली मंज़िल मेरी आसमान होगी।
34- जो भी होगा वो सब बाद में सोचेंगे, पहले तो अब अपने हौसलों से आसमान में पहुंचेंगे।
35- एक दिन ऐसा भी आएगा जब मेरे क़दम बादलों पर होंगे और आसमान मेरी मुट्ठी में होगा।