chup shayari

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chup shayari

1- मैंने बेवजह बोलते सुना है लोगों को, खामोश बेवजह किसी को होते नहीं देखा।

चुप रहना ही बेहतर है शायरी

2- कौन अपना कौन पराया है, सब कुछ मतलब का किया कराया है।

गहरे अर्थ वाली शायरी

3- जब ख्वाब टूटते हैं सन्नाटा छा जाता है ज़िन्दगी में, नींद नहीं आती एक अजीब सा वक़्त आ जाता है ज़िन्दगी में।

चुप रहना स्टेटस

4- जिस दिन से नहीं गूंजी आवाज़ तेरी उस दिन से खामोश हूँ मैं, कभी-कभी दिलासे देता हूँ खुद को मगर को सतारोज़ हूँ खुद को।

चुप रहने पर अनमोल वचन

5- अब शायद कभी टूटेगी नहीं खामोशी मेरी, कोई आम चीज़ नहीं मेरा गुमान टूटा है।

6- हर कोई कहता है चुप रहा करो, शायद मैं लायक ही नहीं कुछ कहने के।

7- कुछ चुप हम इसीलिए भी रह गए, की उन्होंने हमसे कुछ कहा ही नहीं।

8- हस्ते रहो नाकामियों पर पूरी की पूरी हसरते कब पूरी होती है।

9- बोल रहा हूँ तो समझ लो ठीक है सब ठीक है, बात तो तब होगी जब कोई बात नहीं होगी।

बंद जुबान पर शायरी

10- वो अब पूछते नहीं हम भी कुछ बताते नहीं, जो साथ नहीं रहना चाहते ऐसे साथ वालों को हम सताते नहीं।

11- जो कुछ नहीं सुन्ना चाहते बेहतर है ना उनसे कुछ कहा जाए, इन चिल्लाने वालों की भीड़ में चुप रहा जाए।

12- पहले लगता है लफ्ज़ ज्यादा तेज़ लगते हैं, अब पता लगा चुप्पी ज्यादा चुभती है।

13- अलग सबसे ये लहज़ा कर देता है, शोर खामोशी का बहरा कर देता है।

14- ज़माना कहता रहे कुछ भी मैं कुछ भी नहीं कहूंगा, मगर जो तू भी ना समझा तो चुप ना रह पाउँगा सनम।

चुप पर कविता

15- यूँ ही नहीं नाराज़ हूँ अपने दिल से ये मुझसे ज्यादा तेरी सुनता है।

16- लोग हमेशा गलत लोगों से धोखा खाने के बाद, अच्छे लोगों से बदला लेते हैं।

17- मिला क्या नहीं पाया क्या नहीं, किस के इंतज़ार में चुप है तू आया क्या नहीं।

18- मैं यूँ नहीं खामोश रहता अपनों के आगे, मेरे अपने मेरी पीठ के पीछे ज्यादा बोलते हैं।

19- बहार से खुश बड़े अंदर वीरानियाँ, के सुनने में ही अच्छी लगती वफ़ा की कहानियां।

20- चुप्पी टूट नहीं रही खाब बच नहीं रहे, जो सब अपने थे मेरे वो अपने सब नहीं रहे।

21- तेरे शब्दों के तीर से बचने के लिए चुप्पी साधना ही एक उपाय है अब।

22- जज़्बात कहते हैं खामोशी से बसर हो जाए, दर्द की ज़िद्द है दुनिया को खबर हो जाए।

23- खामोशी खामखा नहीं है मेरी जुबां पर, कभी गौर भी किया कर खुद की जुबां पर।

24- खामोशियों में खामिया ढूंढ रहे हैं हम, काफी कुछ कह रहे है बिना कुछ कहे हम।

25- खामिया निकालते हैं आवाज़ में मेरी बस इसीलिए अब मैं खामोश रहता हूँ।

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26- आज जैसा चल रहा है अगर वैसा ही कल भी चलता रहा, तो ज़िन्दगी मैं कुछ कहने लायक नहीं रहूंगा।

27- खामोश यूँ ही आवाज़ नहीं होते, कुछ दर्द आवाज़ छीन लेते हैं।

28- बोलना बंद हो गया या यूँ कहे की बोलती बंद हो गई है।

29- जानना चाहते हो की हम इतना क्यों बोलते हैं, जानते नहीं क्या कोई नहीं मेरा तुम्हारे सिवाय।

30- कोई सुनता नहीं था जब कुछ कहना चाहता था आज सब बोलते हैं कुछ बोलता क्यों नहीं।

31- अब अपने अलफ़ाज़ मैं बर्बाद नहीं करता, अब खुद के सिवाय मैं और किसीसे बात नहीं करते।

32- अच्छा है की खामोश हूँ मैं, कुछ बोल दिया तो खुद को ही बोलोगे कितना बुरा हूँ मैं।

33- खामोश रहना शुरू कर दिया तबसे जबसे तुझसे रिश्ता ख़त्म हो गया।

34- खामोश रहने की एक वजह ये भी है की दर्द बयां करने के लिए मेरे पास लफ्ज़ नहीं।

35- ये जो दिल भारी और भरा हुआ है, सब कुछ तेरा ही किया धरा है।

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