
1- काम में टांग अड़ाने वाले लाखों मिल जाएंगे मगर मदद का हाथ बढ़ने वाला कोई नहीं मिलेगा।

2- एक बात कोई बोलता नहीं इसीलिए तो आज कल के लोगों को दोगले लोग कहा जाता है।

3- लोगों का काम तो कहना है, अपना काम तो अपना काम करते रहना है।

4- लोग लगे रहेंगे नीचे गिराने में, तुम्हे लगे रहना है ऊपर की ओर क़दम बढ़ाने में।

5- ये दुनिया मतलबी है जनाब यहाँ बिना मतलब के कोई कुछ नहीं करता।
6- नुक्सान यही है आज कल के रिश्तों में की रिश्ते बनाने में भी लोग अब फायदा ढूंढते हैं।
7- ज़रुरत ख़त्म होने की बात है लोग रिश्तों को गैर ज़रूरी समझ लेते हैं।

10- दस चेहरे और सौ उँगलियाँ आज कल रावण कई है।
11- लोग आज कल मतलब की बात करते हैं और मतलब के लिए बात करते है वरना नज़रअंदाज़ कर देते हैं।
12- आधे से ज्यादा लोगों की दोबारा मिलने की वजह कोई रिश्ता नहीं बल्कि मतलब है।
13- लोग नहीं बदलते लोगों की ज़रूरतें बदल जाती है।
14- प्यार में और व्यापार में धोके मिलना आम बात है।

15- मतलब के मायने जज़्बात से ज्यादा है, और फिर लोग कहते हैं मोहोब्बत कम हो गई है दुनिया में।
16- मतलबी लोगों का एक शहर होता जो, सबसे ज्यादा लोग रहते उस समाज में।
17- मतलब को अपनी दुनिया बना लिया है लोगों ने और कहते हैं अब की दुनिया मतलबी हो गई है।
18- लोग मदद नहीं निवेश करते हैं की मैं आज इसकी मदद कर रहा हूँ कल ये मेरी मदद करेगा।
19- लोग मदद नहीं एहसान करते हैं, बस यही वजह है की अब किसी से मदद नहीं मांगता।

20- एक जुबां से दो बातें करने से बेहतर है की इंसान बेज़ुबान हो जाए।
21- लोग मुफ्त में मज़हब नहीं देते तुम मदद मांग रहे हो।
22- ये दुनिया बज़ाएर है जज़्बातों का जहाँ सिक्के सिर्फ मतलब के चलते हैं।
23- मैंने दुनिया बना लिया था उसे और वो मतलबी निकली, तब से मैं दुनिया को मतलबी कहता हूँ।
24- दुनिया अब बस मतलब से याद करती है, क्यूंकि इस दुनिया को बस मतलब से मतलब है।
25- काश सड़कों की तरह ज़िन्दगी के रास्तों पर भी लिखा होता की आगे खतरनाक मोड़ है, ज़रा सम्भल के।
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26- याद करते है काम पड़ने पर, काम पड़ने पर मगर कोई काम नहीं आता।
27- आज कल वो भी दुनिया को मतलबी बताने लगे है जिन्होंने बेमतलब आज तक इस दुनिया में कोई भी काम नहीं किया।
28- वो अच्छा था जब सेहत था, बद्तमीज़ हो गया जब बोल पड़ा।
29- जब मतलब था तो ख़ास थे आज मतलब पूरे होते ही मतलबी हो गए।
30- दुनिया को मतलबी बताने से पहले ये ज़रूर देख लेना की क्या कभी तुमने बेमतलब किसी की मदद की है।
31- बेवजह काम आना छोड़ दिया मैंने उन लोगों के जो काम के वक़्त ही याद करते थे।
32- रुक गए मुझे देखर या मुझे देखकर मुझसे कोई काम याद आ गया तुम्हे।
33- ये दुनिया यूँ ही बेहाल नहीं हुई है, यहाँ हाल पूछने की भी कोई वजह होती है।
34- कोई काम आने पर ही मिलने आते हैं लोग, नाजाने नाते ही क्यों बनाते हैं लोग।
35- भरोसा उठ गया उस दिन से भरोसे पर से, जिस दिन से दोस्तों ने बेवजह बैठना बंद कर दिया।