
1- कौन सुनेगा गरीबों की आप-बीती, यहाँ तो नेता लगे पड़े हैं करने में राजनीति।

2- नेता की नीति ही समाज की स्तिथि सुनिश्चित करती है।

3- जब नेता समाज सेवक है तो इसकी तनख्वा क्यों और अगर नौकरी है तो इसकी कोई qualification क्यों नहीं।

4- अगर सारा धन जनता से लिया जा रहा है तो जनता की जगह पैसे वाले नेता क्यों है।

5- भारत की राजनीति में तो यही खेल है चलता, सत्ता से पैसे और फिर पैसे से सत्ता।
6- भारत का दुर्भाग्य यही है की राज नेता बहुत आए गए मगर एक नेता ऐसा नहीं आया जो की जनसेवक हो।
7- राजनीति एक कलंक है सब ये कहकर इससे दूर हो जाते हैं मगर इस कलंक को साफ़ करने के लिए कोई इसके पास नहीं जाता।
8- नेता वही बेहतर है जो राजा बन कर नहीं बल्कि सेवक बन कर रहे।
9- बुरे नेता चूंकि ना देश को बर्बाद करें, दिमाग लगाएं और दिमाग से मतदान करें।

10- समाज फिर भला कैसे अपराधमुक्त होगा जब आधे से जयादा नेता ही अपराधी है।
11- एक विडंबना ये भी है की पड़ा लिखा आदमी सरकारी नौकर बनता है और अनपढ़ आदमी सरकार बनाता है।
12- मिटा दो देश से अज्ञानता, मत कीजिए कभी समर्थन परिवार वाद का।
13- जिस समाज के नेता ही भ्रष्ट होंगे, वहां की जनता को तो ज़रूर कष्ट होंगे।
14- क़ानून आम आदमी के लिए होते हैं बड़े लोगों की तो खुद की ही अदालत होती है।

15- भाषण के नाम पर मिलते है नेताओं से कुछ अजीब तर्क, नाजाने कब तक ऐसे ही तड़पता रहेगा देश का गरीब वर्ग।
16- भारत को पहले अंग्रेजों ने लूटा फिर मुगलों ने और अब भारत के नेता ही भारत को लूट रहे हैं।
17- जिस समाज के पास समय ही नहीं मतदान करने के लिए उस समाज का अच्छा समय कभी नहीं आ सकता।
18- नेता अमीर होते जा रहे है देश गरीब होता जा रहा है, हाल देश का दयनीय और अजीब होता जा रहा है।
19- मुद्दे सुलझते नहीं खाली उठाए जाते है, जनता पर नहीं विज्ञापनों पर देश के पैसे लुटाए जाते हैं।

20- गुंडे खड़े हो रहे हैं आज कल चुनाव में और भाषण में कहता है स्वराज आएगा।
21- धांधलेबाजी धंधा बन चूका है अब राजनीति में।
22- घुटने टूट गए है भारत की अर्थव्यवस्था के मगर हमारे नेताओं को आज भी कुर्सी की लगी हुई है।
23- जाती धर्म से ऊपर उठकर मतदान ना किया तो भारत की अर्थव्यवस्था नीचे बैठ जाएगी।
24- भारत ढूंढ रहा है एक दफा फिर अशोका से राज नेता को और कौटिल्य से वजीर को।
25- जो राजनेता पैसों के लिए राजनीति कर रहा है वो खुद को अमीर और देश को गरीब बनाकर छोड़ेगा।
इन्हे भी पढ़े :-
26- राजनीति में राजनीति कम हो जाए और सुसमाज नीति बढ़ जाए तो देश भी बढ़ जाएगा।
27- गरीब को रोटी नहीं मिल रही युवा को रोज़गार नहीं मिल रहा, खुश हो सके सारा देश जिसमे भारत को वो त्यौहार नहीं मिल रहा।
28- मत पूछिए हालात राजनीति के, की अब मुजरिम भी बनने लगे है रखवाले क़ानून के।
29- हालत राजनीति के काफी बुरे से नज़र आते हैं, कुछ नेता तो बस वोट मांगते समय नज़र आते है।
30- एक सच्चा नेता वही है जो आगे आगे नहीं बल्कि अपने लोगों के साथ साथ चले।
31- एक नेता की नीति सम्पूर्ण समाज की स्तिथि का अवलोकन करती है।
32- वो समाज कैसे समझदार हो पाएगा जिसके नेता ही इतने बेवजूफ है।
33- वहां फिर न्याय क्या मिलेंगे जहाँ कानों ही जुर्म के बाद बनते हों।
34- देश के हालात इसी से समझ लीजिए की पढ़ा लिखा आदमी रिक्शा चला रहे है और अनपढ़ नेता देश चला रहे हैं।
35- धर्म देख कर नहीं नेता के कर्म देख कर अपना मतदान कीजिए।
36- कुछ चीज़े जनता भी बर्बाद कर देती है हर बर्बादी के लिए सरकार ज़िम्मेदार नहीं।
37- राजनीति भी एक दो धारी तलवार है, आजादी के इतने साल बाद भी भारत को एक अच्छे नेता की दरकार है।
38- नेता वो अच्छा नहीं होता जिसके नेत्र अच्छे हों नेता वही अच्छा है जिसका नेतृत्व अच्छा हो।
39- भारत की राजनीति वो दलदल है साहब जिसमे पूरा समाज डूब रहा है।
40- जो करना होता है आम आदमी को ही करना होता है सरकारें घपलों के इलावा और कुछ नहीं करती।