
1- मोहोब्बत गुनाह है अगर तो इसके गवाह किधर है, मोहोब्बत जख्म है अगर तो इसकी दवा किधर है।

2- टूटे दिल के टुकड़े गिरे कई जगह, टूटने से पहले पूछ रहा था वो क्या है मेरी खता।

3- हुआ क्या संग मेरे क्या तुम्हे ज़रा भी मालूम नहीं सनम, अनजान बनने का दिखावा कर रही हो ज़रूर तुम इतनी तो मासूम नहीं सनम।

4- सच्ची दुश्मनी निभा लिया करो जनाब ये झूठी दोस्ती निभा कर दिल ना दुखाया करो।

5- माना की शराब खराब है सनम मगर इतना तो है की तुमसे ज्यादा नहीं।

6- तुम हाल मत पुछा करो सीधा काम बताया करो, कोई पूछे की मेरा पता क्या है उसे बेझिझक गुमनाम बताया करो।

7- सफर में कहीं तो दगा खा गए हम, जहाँ से चले थे वही आ गए हम।

8- इतनी खामोशी से दिल ने दर्द दबा रखे हैं, की आँखों को भी कानो कान खबर ना हुई।

9- कई रातें जागा हूँ इन आँखों को सुलाने के लिए, दिल पर पत्थर रखा है उस पत्थर दिल को भुलाने के लिए।

10- आंखें मेरी समंदर लिए बैठी थी फिर भी मैं प्यासा रह गया।
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11- मैं समंदर था इसीलिए खारा था, उसने देखा तो मुझे पर मुँह ना लगाया।
12- हड्डियां टूटती है जुड़ जाती है मगर जो एक बार यकीन टूटता है फिर दोबारा नहीं जुड़ता।
13- कुछ ऐसा मेरी ज़िन्दगी का तराना रहा है,महफ़िल में लाखों की बैठकर भी ये दिल हमेशा बेगाना रहा है।
14- वो मेरे लिए सब कुछ मैं उनके लिए कुछ भी नहीं, मैं गम में डूबा रहा उनकी खातिर उन्हें इस बात का दुख भी नहीं।

15- बदल दिया कुछ इस क़दर उसकी जुदाई ने मुझे, की ना मैं उसका रहा और ना अपना।
16- मैं खुद अपना ना हो सका तो भला फिर अपनों का क्या हो पाउँगा।
17- ऐ मोहोब्बत जब तू हर किसी को मिलती नहीं तो फिर हर किसी को होती ही क्यों है। ‘
18- तेरे बाद किसी और के हो ना सके फिर, खामखा झूठा हंसना पड़ा हमे खुलकर रो ना सके फिर।
19- दर्द वो हिस्सा है ज़िन्दगी का जो हर किसी के हिस्से में आता है।

20- याद बनकर जो तू मेरे साथ रहती है, तेरे इस शुक्र का सौ बार शुक्रिया।
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21- शिकवे भले लाख हो तुझसे मगर मोहोब्बत आज भी बेन्तेहाँ है।
22- चाहने वाले उसके हज़ार थे मगर मुझसे एक ना था, मेरे बाद वो किसे चुनेगी मुझे बस इतना देखना था।
23- हालात मेरे हाथ से निकल चुके है मेरी पकड़ में तो मैं अब खुद भी नहीं।
24- आँखों में बरसात और दिल में सूखा पड़ा है, जिस्म की प्यास तो बुझ जाएगी मगर ये मोहोब्बत का पेट भूखा पड़ा है।

25- कभी फुर्सत मिलेगी तुम्हे तो फिरसे मिल लेना, मैं वही खड़ा हूँ जहाँ तुम छोड़कर गए थे।
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26- ये तेरी यादों को भुलाने का नाम ही नहीं लेता, ये दिल दिमाग से काम क्यों नहीं लेता।
27- महफ़िल में भी अकेले ही बैठा रहता हूँ, कोई यहाँ अपना नहीं खुद से कहता रहता हूँ।
28- गुमनामी के अँधेरे में मशहूर हुआ हूँ, टूटा नहीं हूँ चकनाचूर हुआ हूँ।
29- जाम गले से उतरती है और आंसूं फिर आँख से, मुझे खुद में मिला ले अक्सर कहता हूँ मैं सिगरेट की ख़ाक से।

30- क़र्ज़ मेरी मोहोब्बत का बकाया तो कर, तू भी मुझे चाहता है बताया तो कर।
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31- रात हारा दिन हारा दिल हारा मैं, बिना चारे का बेचारा मैं।
32- अख़बार पढ़ते हो कभी आँखें भी पढ़ लिया करो, इतना कुछ रखते हो जेब में कभी मेरा दिल भी रख लिया करो।
33- दिल दबाने से कम हो जाता अगर, तेरी ज़रुरत के बगैर ही काम हो जाता है।
34- ऐ बहती आँखें मेरी या तो मुझे डूबा दो या फिर इन ग़मों को बहकर कहीं दूर ले जाओ।

35- मना लाख किया मन ने मगर दिल माना नहीं, दिल के कानों ने सुना ही नहीं जब दिमाग की जुबां ने कहा की सच्ची मोहोब्बत का ज़माना नहीं।
36- तू खैरियत से रह मुझे खैरात मत दे मोहोब्बत की, आदत है मुझे अंधेरो की और ग़मों की सौबत की
37- ना दिल मिले ना ख्याल मिले ना आँखें मिली, तेरे चक्कर में नाजाने कितनी रोती हुई रातें मिली।
39- बर्बाद पहले से था मैं तूने थोड़ा और कर दिया, तूने भटकती तन्हाइयों को मेरी अपनी यादों का घर दिया।

40- किसी को अपना इतना भी मत बना लेने की ना तुम खुद के रो और ना खुदा के रहो।
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41- एक शक़्स जो खुद के लिए आज तक वक़्त ना निकाल सका, एक तेरे लिए पूरी ज़िन्दगी निकाल दी।
42- वो मेरे पास फिर जो ना आया, तो कभी खुद पर तो कभी हालातों पर रोना आया।
43- अच्छा नहीं था हिसाब किताब में मैं, तुझसे कितना देर हुई दूर हुए हर पल का हिसाब है।
44- जितने दिन हो गए हैं तुझे खोए हुए मुझे, बस उतने ही दिन हो गए चैन से सोए हुए मुझे।
45- ज़िन्दगी मेरी पहाड़ की उस ढलान की तरह है जनाब जिस पर खुशियों के क़दम टिक ही नहीं पाते।
6- लाखों गए इस दुनिया से लाखों कमाकर, एक भी कोई खुशियां खरीद ना सका।
47- यूँ ही नहीं तेरे लिए सब कुछ करता हूँ मैं, मैं भी खुश रहता हूँ जब तुझे खुश रखता हूँ मैं।
48- गैर और अपनों में इतना ही फ़र्क़ है की गैर शरीर को जख्मी करते हैं और अपने दिल को जख्मी करते हैं।
49- अँधेरा काफी है और गर्दिश में हर एक सितारा है, ग़मों की कश्ती में सवार हूँ किया खुशियों से किनारा है।
50- मेरे गम मेरी कलम बानी और ये आंसू उसकी स्याही, हर एक लफ्ज़ नज़म बानी लूटी बहुत वाह वाही।
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51- लाख तैरना सीख लो जनाब ग़मों के दरिया में डूबने से खुद को बचा नहीं सकते।
52- मत पूछ कैसा हूँ मैं, बस जैसा था वैसा हूँ मैं।
53- सुना तू अब खुश है उसके संग, तुझे बता दूँ की मैंने भी दुआ में तुझे नहीं तेरी ख़ुशी मांगी थी।
54- कभी ज्यादा तो कभी कम मिलेंगे, मगर जब तक ज़िंदा हो गम मिलेंगे।
55- साथ छोड़ना मेरा उसे गवारा ना हुआ, कुछ ऐसा मेरा ग़मों से याराना हुआ।
56- संग मेरे जो हुआ मामला संगीन है बहुत, आंसू आ जाएंगे मामला गमगीन है बहुत।
57- साथ छोड़े अभी कुछ पल ही बीते हैं लेकिन लग रहा है जैसे सदियां हो गई।
58- ग़मों के गांव भीग गए है आंसुओं से, खुशियों का शहर सारा बंजर हो गया है।
59- जीने भी अपनों से हम मिले हैं हमे बस उनसे गम मिले हैं।
60- हम खुशियां नहीं ढूंढ सकते क्यूंकि खुशिया हमे ढूंढती है।
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61- राबता ग़मों का सदा रहा सदियों से, ग़मों से नज़दीकी रही और दूरी रही खुशियों से।
62- नज़रबंद हूँ इस ज़िन्दगी के कैद खाने में, खुशियों से मेरी खुशियां अब देखी नहीं जाती।
63- अब तो दुःख को भी दुःख होता है मेरे दुखी होने पर, अब वो भी रो देता है मेरे रोने पर।
64- हम ऐसे यार-ऐ-किसम मिले, मोहोब्बत ना मिली बस सितम मिले।
65- सितम लाख और जख्म मिले करोड़ों, अब क्या ही बताऊँ जाने दो छोडो।
66- फटी क़िस्मत मैं अपनी सी ना सका,, ज़िन्दगी तो मिली मुझे मगर उसे जी ना सका।
67- डूब रहा ग़मों के समंदर के बीचों बीच मैं, खुशियों की कश्तियों से किनारा था मेरा।
68- जख्म पुराने भरते नहीं की फिर नए हो जाते हैं, मुक़द्दर के हालात मेरे कुछ ऐसे तय हो जाते हैं।
69- तय कर लिया सफर आधा ज़िन्दगी का, एक पूरा दिन ना ख़ुशी से बिता सके हम।
70- इतना समय निकल गया ज़िन्दगी का, खुशियां आई नहीं ज़िन्दगी में कभी समय निकालकर।
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71- तैयार है इश्क़ के हर इम्तेहान के लिए हम तुझे इतना बेइन्तेहाँ चाहते हैं।
72- सच इस क़दर खड़ा था बिना लिबाज़ के, हर झूठे को उसकी और देखने में शर्म आ रही थी।
73- सब कुछ बताना तो नहीं खैर ज़रूरी, मगर वो मेरी ज़रुरत थी और मैं उसके लिए गैर ज़रूरी
74- अधेरों से मोहोब्बत करना गलत नहीं होगा, वो साथ निभा रही है मुझे मेरी रूह की तरह।
75- रहत थे जो पहले आज दर्द बन चुके है, असर ही नहीं होता बातों का हमारी उनके दिल इतने सार्ड हो चुके हैं।
76- इन दिनों रातों से राब्ता बढ़ गया है मेरा, ये कैसा हश्र तू कर गया है मेरा।
77- लाइलाज सा लगता है अब ये दर्द मुझे, हर लफ्ज़ शायरी बन रही है अब तू करने दे अर्ज़ मुझे।
78- भरोसा उठा हुआ और दिल बैठा हुआ है,
79- किसी को क्या बताऊंगा गम अपने मैं तो खुद भी खुद से बात नहीं करता।
80- किसी शाम आ मिलने मेरे शामियाने में, उजाला कर कभी मेरी ज़िन्दगी के आशियाने में।
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81- खुद को खोकर तुझे खोजता रहा, तेरी तारीफें ही की है भले खुद को हर पल कोसता रहा।
81- ना कोई दुआ देने वाला है ना कोई दवा देने वाला है, हमारे पास कुछ अपनों का काफिला है जिसमे हर एक हमे देगा देने वाला है।
83- शराब में पानी की जगह अश्क़ है मेरा, चुभते हैं जो दिल में वो लफ्ज़ है तेरे।
84- यादें दफ़न है इस दिल की कबर मैं, मारने की खुद को छोड़ता नहीं कोई कसर मैं।
85- तेरे संग थे वो वक़्त को थामने की ख्वाहिश थी तेरे से दूर अब साँसे थामने की ख्वाहिश थी।
86- वो मुनाफा ढूंढ रहे थे और हम मोहोब्बत, ये सौदा ही गलत था फिर रिश्ता कैसे सही होता।
87- मुझे बर्बाद करने में एक तेरा साथ था और दूसरा मेरे अपने दिल का हाथ था।
88- जहाँ का था मैं वहीँ का भीना छोड़ा, मेरे मुक़द्दर ने मुझे कहीं का भी नहीं छोड़ा।
89- ज़िन्दगी का स्कूल कुछ ऐसा है जनाब, यहाँ सबक पहले मिलता है और पढ़ाया बाद में जाता है।
90- मुझे खुद से ही उम्मीद नहीं बाकी तो भला मुझसे क्या किसी को आस होगी।
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91- खुद को बहलाकर बैठते है तुझे याद करने में, सच बहुत सुकून मिलता है खुद को यूँ बर्बाद करने में।
92- मैं क्यों पुकारूँ उसे की लौर जाओ, मैं इंतज़ार कर रहा हूँ वो इस बात से बेखबर तो नहीं।
93- हर किनारा नमक लिए बिठा है, किसके पास जाय जाए फिर तैरते हुए।
94- आँखें बंद नहीं करता एक पल के लिए भी, देखना चाहता हूँ तुम पहले आओगे या मौत।
95- मत पूछो मुझे की किस हाल में हो, तुम अपना देखो खुश रो जिस हाल में हो।
96- तेरी याद कभी हंसा भी देती है तो कभी रुला भी देती है, कभी नींद उड़ा देती है तो कभी सुला भी देती है।
97- ना भरोसा खुद पर और ना खुदा की खुदाई पे, देख कितना कुछ बदल दिया एक तेरी जुदाई ने।
98- जिसे टूट कर चाहा उसने तोड़ कर रख दिया, कोई रास्ता नहीं दिख रहा ऐसे मोड़ पर रख दिया।
99- ये निशाँ और निशानियां तेरी, बानी हुई है परेशानियां मेरी।
100- तुझे खत लिख कर खता करि मैंने, एक दागदार का होकर खुद से दगाकरि मैंने।
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1- बस सुना है की अच्छा भी होता है, बाकी तो वक़्त हमने तुझे जब भी देखा है बुरा देखा है।
2- मान जाएंगे की कुछ वजूद है हमारा जिस दिन तुम भी हमे अपना कहोगे।
3- कुछ ऐसी भी तबाही होने लगी है, की तुझे मानते मानते मेरी खुद से लड़ाई होने लगी है।
4- मुझमे से तुम्हे निकाल दें अगर मैं शर्त लगा सकता हूँ मेरा वजूद खतरे में आ जाएगा।
5- कभी कभी उसके बारे में सोचते हुए सोचता हूँ क्या वो भी मेरे बारे में सोचते होंगे।
6- ज़िंदा हूँ वो कहते है हमे तो ज़िन्दगी का ख़ास एहसास होता नहीं।
7- उसे शिखवे सारे मुझसे ही होने थे, मुझे सारी मोहोब्बत उससे ही होनी थी।
8- एक शक़्स क्या चला गया छोड़ कर मुझे ऐसा लग रहा है जैसे सब कुछ गवा चुका हूँ मैं।
9- अब पूछते भी नहीं हाल मेरा, क्यों बेहाल कर रहे हो मुझे।
10- बवाल होता है तो हो जाने दो, मुझे मत सम्भालो बेहाल होने दो।
11- लड़ता हूँ अपने आप से इस वजह से भी, की चाहे कोई भी जीते हारूंगा मैं ही।
12- आएगा वो भी लौटकर ऐसा कहकर टूटे दिल को दिलसे देता हूँ।
13- तेरे सितम ख़तम ही नहीं होते, नहीं जानता क्या जखम पर जखम नहीं होते।
14- जब से तुम्हे अपना बता रहे हैं हम, बस पछता रहे हैं हम।
15- पत्थर के हो चुके हैं दिल, अब आसानी से नहीं टूटते।
16- मैं कैद होकर कमरे में फिर खूब रोता हूँ, ज्यादा जागता हूँ कम सोता हूँ।
17- ज़िन्दगी रूकती नहीं मौत से पहले, इंसान बैठ जाता है इंतज़ार में वो अलग बात है।
18- गैरों के संग तो मैं बैठकर खाना भी खा लेता हूँ, अपने अपनों से तो मैं सिर्फ खौफ खाता हूँ।
19- महफिलों में तेरी भीड़ इतनी थी की वहां पर क़दम रख सकते थे अपनी बात नहीं।
20- ये जो इतना दुखी हूँ मैं, इसकी वजह तू नहीं खुद ही हूँ मैं।
21- मुस्कुराने का नाटक भी कितना किया जा सकता है, सवाल ये है की ऐसी ज़िन्दगी को भी कब तक जिया जा सकता है।
22- पैसा लगाकर इंसान बस कर्ज़े में आता होगा, दिल लगाकर तो साँसों का भी मोहताज हो जाता है।
23-कह तो देता हूँ कोई बात नहीं, पर सच कहूँ तो जो सुकून दे मुझे ऐसी कोई बात नहीं।
24- ख्वाहिश थी की गाडी चलाऊंगा, ये घर चलने का ख़्वाब मैंने कब देखा भला।
25- पहले तो तुम सिर्फ लिबाज़ बदलते थे सनम, ये चेहरे और मिजाज़ बदलना कब से शुरू कर दिया।
26- दिल पर दर्द का बोझ है, कंधो पर ज़िम्मेदारियों का बोझ है, सर पर ख़्वाबों का बोझ हैं और कभी कभी मुझे लगता है की मेरा होना भी एक बोझ है।
27-मेरा दिल नहीं लगता मेरा मन नहीं करता, चुपचाप मान लेता हूँ ज़िन्दगी का फैसला अब मैं बगावत नहीं करता।
28- पलकों पर बैठाया जिन्हे वो सर पर चढ़ने लगे, जो कभी दिल में रहते थे अब नज़रों से उतरने लगे।
29- काखमों को छिपकर रखने में ही भलाई है जनाब, दर्द में जी रहे इंसान को और दर्द देते हैं लोग।
30- तू तो छोड़ गया आधे रास्ते, पर लगता है ये दुःख और दर्द ताउम्र साथ रहेगा।