
1- उसूल के नहीं फितूर के दिन थे, सबसे बेहतरीन वो स्कूल के दिन थे।

2- अच्छे दिन आएं ना आएं मगर वो स्कूल के अच्छे दिन चले ज़रूर गए हैं।

3- वही काबा वही शिवालय, सबसे पवित्र स्थान विद्यालय।

4- बस इतना फ़र्क़ अब आया है ज़िन्दगी में की पहले कोसता था स्कूल के दिनों को और अब खोजता हूँ स्कूल के दिनों को।

5- बदला इतना ही है ज़िन्दगी में मेरी की पहले स्कूल ना जाने का बहाना ढूंढता था और अब स्कूल जाने का मौका ढूंढता हूँ।
6- अब मालूम पड़ रहा है स्कूल के इमेहान कितने आसान थे ज़िन्दगी से ज़िन्दगी ने इम्तेहान लेना शुरू किया है।
7- अब जब मेरा स्कूल जाना बंद हो गया है तब स्कूल मुझे याद आता है।
8- ज़िन्दगी अब मुझे और आगे नहीं लेजा, तू तो मुझे पीछे स्कूल के दिनों में ले चल।
9- स्कूल के दिन हर शाम याद आते हैं, बिछड़ चुके उन दोस्तों के नाम याद आते हैं।

10- मुस्कान चेहरे पर और बस्ता कन्धों पर, बैठक क्लासरूम में मगर नज़रें रास्तों पर।
11- आज पूछा मुझसे उस स्कूल की एल्बम में कैसी कट रही है ज़िन्दगी मुझसे दूर जाकर।
12- ऐ स्कूल अगर तू ना होता तो फिर किसे याद कर हम मुस्कुराया करते।
13- मुझे वापस दोस्तों का काफिला दिलवा दो, मुझे एक बार फिर स्कूल में दाखिला दिलवा दो।
14- स्कूल से अलग होकर अब अलग स्कूल में आ गए हैं हम, ये ज़िन्दगी का स्कूल है यहाँ सब कुछ अकेले संभालना पड़ता है।

15- गुज़रता हूँ अभी भी स्कूल के रास्तों से मगर फ़र्क़ इतना ही है की अब स्कूल नहीं जा सकता।
16- स्कूल ना जाने के बहाने बनाने से स्कूल जाने के बहाने ढूंढने तक we all grew up
17- वो स्कूल के दिन वो स्कूल के यार, ना जाने इतनी ज्यादा क्यों आती है स्कूल की याद।
18- सब कुछ ठीक चल रहा था ज़िन्दगी में , फिर हुआ यूँ की हम बड़े हो गए।
19- School में Home work पूरा ना हुई copy छुपाने से लेकर दिल के दर्द और आंसू छुपाने तक हम कितने आगे आ गए ज़िन्दगी।

20- स्कूल से लेकर आज तक की ज़िन्दगी के सफर में घर से लेकर स्कूल तक जाने तक का सफर ही सबसे हसीं रहा है।
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21- एक वो स्कूल के दिन गए जिनका पता भी ना लगा और एक ये जवानी की शामें है जो गुज़र नहीं रही।
22- काश लौट सकते वो दिन बचपन के तो मैं भी घर से निकलने को फिर खुश हो जाता।
23- स्कूल के दिनों को हर रात याद करता हूँ, वो ख़ुशी क्यों छीन ली फिर खुदा से फ़रियाद करता हूँ।
24- स्कूल में आस पास बहुत सारे लोग बहुत सारे चेहरे होते थे और अब कुछ लोग बहुत सारे चेहरे के साथ होते हैं।
25- रुको मत जाओ से लेकर रुको मत जाओ, हम काफी बड़े हो गए।
26-इस साल गाड़ियां तो आई मेरे शहर में मगर गर्मियों की छुटिया मिली नहीं मुझसे आकर।
27- पीछे की सीट और मैदान पर नज़र रखते थे, हम अपनी नहीं बस खेलने की खबर रखते थे।
28- छोड़ दिया इश्क़ फरमाना हमने, छोड़ दिया है जब से स्कूल जाना हमने।
29- पहले 6 घंटों का स्कूल इतना खटकता था अब तो पूरी ज़िदगी की इम्तेहान बन गई है।
30- नीरस सी होगी है ज़िंदगी बिन स्कूल के, याद आते हैं मुझे वो दिन स्कूल के।
31- स्कूल के इम्तेहान में fail होकर उन्हें दोबारा दिया जा सकता था, मगर ज़िन्दगी के इम्तेहान में ऐसा नहीं था।
32- ना कल की फ़िक्र थी ना आज का ठिकाना था, काम उस वक़्त बस दोस्ती निभाना था।
33- जिस स्कूल में जाने के लिए मैं रोया करता था आज वही दिन सबसे हसीन नज़र आते हैं मुझे।
34- आँखे नम और जुबां मुस्कुराने लगती है, जब भी कभी मुझे स्कूल की याद आने लगती है।
35- याद है वो 12th के बोर्ड का आखिरी इम्तेहान, जब मिले थे आखिरी दफा वो मेरे दोस्त मेरी जान।