
1- किसी शाम जो लौट आए वो ज़िन्दगी में मेरी, मेरी ज़िन्दगी के लिए वो एक नई सुबह होगी।

2- दिमाग में तेरे ख़याल और जुबां पर तेरा नाम लिए,बैठता हूँ, तेरी यादों संग हर शाम हाथों में जाम लिए बैठता हूँ।

3- ये शामों की शमा अब बुझने ही वाली है, लगता है अँधेरा होने ही वाला है।

4- ऐ शाम ठहर जा आज कमरे में मेरे, इन अधेरों से मुझे डर सा लगता है।

5- एक शाम ऐसी भी गुज़रे जिसमे कल की परवाह ना हो।
6- मैं इस क़दर डूबा की मेरा एक तिनका ना हुआ, मेरी मोहोब्बत रातों से हुई मुझे ख़याल दिन का ना हुआ।
7- शाम जो ढलना छोड़ दे, तो हर रात तेरी याद में हम जलना छोड़ दे।
8- सुबह से कब शाम और शाम से कब रात हुई, नौकरी करते-करते मेरी ज़िन्दगी बर्बाद हुई।
9- इतने दिन निकल गए ज़िन्दगी के, मलाल है एक शाम नहीं निकाल सका हूँ अब तक खुद के लिए।

10- आँखे खोलकर बहुत जी लिया अब एक शाम जीना चाहता हूँ दिल खोलकर।
11- शाम की शमा जब बुझ जाए इन आँखों में आंसू आते हैं नींद की जगह।
12- जिस उस दिन मिली थी वो मैं नहीं था, एक शाम मिलो फुर्सत से तुम्हे खुद से मिलाएंगे।
13- सुबह से शाम बस रहता है काम का वक़्त, खुद के लिए मेरे पास बचा है बस नाम का वक़्त।
14- ख़ुशी के पल बीत जाते है पलक झपकते ही ये गम की शामें इतनी धीरे क्यों ढलती है।

15- इतनी बातों में मैं एक बात का पता करना चाहता हूँ, जो सुकून दे सके मैं उस शाम का पता करना चाहता हूँ।
16- शाम संभालती है थोड़ा रातें तोड़ कर रख देती है, मेरी ज़िन्दगी मुझे हर तरह से मरोड़ के रख देती है।
17- हर शाम बस तेरे ही इंतज़ार में रहते हैं हम, तू तो आती नहीं बस यूही अपना वक्त जाया करते रहते है हम।
18- कुछ अनहोनी कुछ तो बात होने वाली है, आज शाम जल्दी ढल गई लगता है काली रात होने वाली है।
19- बहुत देख चूका हूँ इस अँधेरे को मैं, काश इस शाम के साथ मेरी ज़िन्दगी भी ढल जाए।

20- मुझ बेज़ुबान को तुझे एक बात बताने का मौका मिल जाए काश, इन बुरे दिनों में तेरे संग एक शाम बिताने का मौका मिल जाए काश।
21- क्या सुबह क्या शाम और फिर क्या रात मेरे लिए, कुछ भी अच्छा नहीं सब बर्बाद है मेरे लिए।
22- अब तो सूरज भी ढलने को है नाजाने मेरा चाँद आज कहाँ रह गया।
23- मैं क्या हूँ तुम्हे असल तस्वीर दिखाई जाए क्या, एक शाम एक साथ बिताई जाए क्या।
24- ढल गई मेरी खुशिया भी इस शाम की तरह, इस रात की तरह फिर मेरी ज़िन्दगी में अँधेरा हुआ।
25- शाम ढलते ही हर पंछी को घर लौट जाना पड़ता है, कौन ख़ुशी से मरता है बस मर जाना पड़ता है।
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26- शाम से कुछ इस क़दर गिर रहे हैं आंसू आँख से, जैसे पतझड़ आ गया हो ज़िन्दगी में, पत्ते टूट रहे हों शाख से।
27- वो रोज़ देखता है ढलते सूरज को इस तरह, काश मैं भी किसी शाम का मंज़र होता।
28- डूबा हूँ गम में इस तरह से, जिस तरह सूरज डूब जाता है हर शाम में।
29- ज़िन्दगी का दिन अब ढलने लगा है, कल तक जो अनजान था आज उसे भी पता चलने लगा है।
30- छुप कर नहीं हर दिन सरे-आम गुज़रेंगे, हर सुबह गुज़रेंगे हर शाम गुज़रेंगे।
31-जिस तरह की ये शाम गुज़र रही है इससे बेहतर था की हम ही गीज़र जाते।
32- आसमान साफ़ था इस शाम को बस मेरी आँखें बरस रही थी वो अलग बात है।
33- तू भी एक शाम मिलने को बेक़रार हो, कई शामें बीत गई उस शाम का इंतज़ार करते हुए।
34- बस एक शाम का इंतज़ार हर शाम रहा, बस वो शाम किसी शाम आई नहीं।
35- इससे शानदार भी कोई शाम क्या होगी भला, जब सब कुछ भूलकर तुम मुझे याद करोगी।
36- दिन बीत रहे हैं शामें ढल रही है, दिल तो कब का मर चूका है बस सांसें चल रही हैं।
37- तेरी यादों की आग में आँखें सेकते सेकते, एक और शाम गुज़र गई देखते देखते।
38- आज ढलती शाम ने जब रंग बदला, मुझे बदले हुए लोगों की याद आ गई।
39- शाम ढल गई है ज़िन्दगी में मेरे, अब आधी रात में मुझे वो पूरा करने क्या ही आएगा।
40- एक शाम मिले जिसमे तेरे मेरे नाम जुड़े।
41- शामें कई आई गई तेरा इंतज़ार में, अपनी ज़िन्दगी से लबा लग रहा है इम्तेहान ये।
42- इस शाम की अगर शमा तू है सनम तो मैं भी किसी परवाने से कम नहीं।
43- शामें गुज़र रही है इंतज़ार में तेरे, ना जाने और क्या क्या देखना होगा मुझे प्यार में तेरे।
44- हर शाम तुझे भुलाने के लिए पीटा हूँ मैं हर सुबह फिर दोबारा तू याद आ जाती है।
45- शामें कई सरकती जाती है आँखों के सामने से, इस आस में की एक दिन फिर तुझसे सामना होगा।