
1- तेरे बाद हमने शराब को चुना, तेरा नशा अब कोई दूसरा नशा ही छुड़ा सकता था।

2- झूठ कहते हैं लोग शराब ग़मों को हल्का कर देती है, मैंने अक्सर देखा है लोगों को नशे में रोते हुए।

3- शराब का प्रचार हुआ उतना तेरा भी होता तो उससे ज्यादा आज तेरे तलबगार होते।

4- अपने हाथों से अपनी ज़िन्दगी खराब कर रहा हूँ, तेरे बाद अब अपना साथी मैं शराब कर रहा हूँ।

5- जिसके दिन खराब चल रहे होते हैं उसकी रातों में अक्सर शराब चल रही होती है।
6- काश शराब उतरती ही नहीं तो हमे मोहोब्बत के मर्ज़ की दवा मिल जाती।
7- एक बार जो कर ले बात तुझसे वो इतने नशे में हो जाएगा की शराब की बात नहीं करेगा।
8- दर्द ताउम्र दबा रहा मुझमे, तू संग ना रहा पर तेरा नशा रहा मुझमे।
9- तेरे गम में डूबने से बेहतर मैं शराब के नशे में डूबा रहूँ।

10- ये दुनिया शराब को खराब तो ऐसे बताती है जैसे खुद बहुत अच्छी होगी।
11- आंसुओं को पीने का अब मन नहीं मेरा, मेरा मन है की अब थोड़ी शराब पी जाए।
12- मयखाने में आते होंगे लोग पीने के लिए हम तो तुझे देखने आते हैं साकी।
13- जाम नशीला तो होना था मैंने पानी नहीं आंसू मिलाए है।
14- शराब ही दोस्त अब शराब से ही दुश्मनी है अब अंजाम जो भी हो जीत मेरी ही होगी।

15- कुछ तो शराफत तू सीख ले शराब से, बोतल पर लिखा तो होता है की जानलेवा है।
16- थोड़े जाम छलके थोड़ी आँखें छलकी, तेरे किस्से सुनाए थोड़े की तेरी बातें हलकी।
17- आज यादें भी आएगी क्यूंकि जुबां पर नाम आ गया आपका, आज गम भी आएँगे इंतज़ाम करना होगा शराब का।
18- शराब ख़त्म ना हो तब तक प्यालों से, जब तक मिट ना जाए वो मेरे ख्यालों से।
19- कैसे कह दूँ शराब को तुझसे बुरा मैं, तूने दिल को उससे ज्यादा दर्द दिया है।
20- तू मिली तो पीना छोड़ दिया था मैंने, अब तू छोड़ गई तो पीना फिर शुरू कर दिया।
21- शराब सखा बना मेर साकी को भुलाने के लिए।
22- शराब को सर चढ़ाना ना पड़ता जो दर्द दिल में इतने ना उतारते।
23- इस शराब को बुरा ना कहो यारों, ये गम में डूबे हुए को तैरना सिखाती है।
24- दारु दवा बन जाती है जब वफ़ा दर्द बन जाती है।
25- शराब शीशे की है मेरे दिल की तरह से, ये भी टूटेगी ज़रूर वफ़ा की वजह से।
26-किस बात का गुरूर है शराब तुझे, किसी की बातें तुझसे ज्यादा नशीली है शायद पता नहीं ये बात तुझे।
27- बोतल एक इलाज है कितने ग़मों की, फिर भी नाजाने क्यों इसे बुरा कहते हैं लोग।
28- छ मत मुझसे कितनी और पियूँगा, उसकी जितनी याद आएगी मैं उतनी और पियूँगा।
29- पीता हूँ ज्यादा की कहीं उतर ना जाए, इस बिगड़ी हुई दुनिया में कहीं हम सुधर ना जाएं।
30- तुझ पत्थर दिल से मोहोब्बत करने से बेहतर तो ये था की हम इस शीशे के गिलास से लगते।