
1- जैसे प्यासा तरसता है रेगिस्तान में पानी ले लिए कुछ उसी तरह तरस रहा हूँ मैं तुझे पाने के लिए।

2- आज से नहीं कल से नहीं ना ही परसो से, तरस रहे हैं उसकी मोहोब्बत के लिए बरसों से।

3- मिट गई हो अगर भूख तेरी मुझे तड़पता देखने की, तो थोड़ा तो तरस खा मुझपर।

4- शराब क्या चीज़ है आगे तेरी आँखों के, लोग उसे पीने के लिए तड़पते हैं तुझे तो देखने के लिए ही तरस जाते हैं।

5- उसके इंतज़ार में पूरा होने को लगभग अरसा हुआ, पड़ा हूँ वैसे ही जैसे छोड़ कर गई थी तड़पा हुआ।
6- तलब तेरी है तेरी मोहोब्बत की है तेरे जिस्म की आज भी मुझे कोई भूख नहीं।
7- तड़पें है उसकी मोहोब्बते के लिए ऐसे जोसे मछली तड़पती है पानी के बिना।
8- चैन की नींद सुलाने के लिए घर वालों के, मैंने, नाजाने कितने खाबों को मैंने तड़पा कर मारा होगा।
9- पलकें इतनी भीगी फिर ग़मों की बरसात में, की तरस आ गया कहीं उन्हें बुखार ना हो जाए।

10- अब तो उसे भी मेरी मोहोब्बत का पाठ समझ आना चाहिए, वो आए ना आए कम से कम उसे मुझपर तरस तो आना चाहिए।
11- तरसते रहे बेहाल होकर उसने एक बार भी मुझसे हाल ना पुछा।
12- मैं टूट रहा हूँ तारे की तरज्ह वो मुझे बचाने की जगह उल्टा मदद मांग रहे हैं।
13- जो देखता थकता ना था हमे आज अपनी एक झलक के लिए तरसा रहा है।
14- मयखानों को छोड़ रास्ता तेरा गली का चुनते हैं, तू क्या मिली शराब छूट गई।

15- बस तू बेखबर है हाल से मेरे बाकी सारे ज़माने को हाल समझ आने लगा है, बस तुझे ही नहीं आता तरस मुझपर अब तो तरस को भी मुझपर तरस आने लगा है।
16- अरसा बीत गया है मोहोब्बत में तेरी तरसते हुए, मुझे खुद याद नहीं कब पाया गया था मैं हस्ते हुए।
17- ऐसा कोई सितम ना था जो उसने आज़माया नहीं मुझपर, मगर बावजूद इसके भी उसे तरस आया नहीं मुझपर।
18- तुझसे मोहोब्बत ऐसे जैसे मासूम को कातिलों से मोहोब्बत हो गई हो, जैसे की ज़मीन को बादलों से मोहोब्बत हो गई हो।
19- मैं तरसता रहा उसके क़रीब जाने को वो ताउम्र मुझसे दूर भागता रहा।

20- टूटे हैं अब कुछ इस क़दर हम, जैसे मोती धागे टूटते हैं दोनों तरफ खींचे जाने से।
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21- अहमियत तुझे अपनी एक दिन मैं उसे समझा दूंगा, आज देखना भी नहीं चाहती जो उसे एक दिन देखने को तरसा दूंगा।
22- तरस गए है उसकी एक झलक के लिए, उसके ना दिखने से बेहतर तो मुझे दिखाई ना दे।
23- किसी दिन से अगर मुझे ना दिखाई दे मुझे, बेहतर होगा की उस दिन से वो मुझे ना दिखाई दे।
24- तालाब रहती है उसको देखने की हमे जो हमे देखना भी नहीं चाहते।
25- तड़प में दिल ने कहा नज़रों से, उसे देखता नहीं तो ऐसा होता ही नहीं।
26- जो बोलते हैं की बहुत बोलते हैं हम उन्हें तरसा देंगे एक दिन अपनी आवाज़ सुनाने के लिए।
27- आँखें रूकती नहीं क्या करें, अब तो मन भी कहने लगा है की रोने का मन नहीं।
28- मोहोब्बत में उसकी मैं तरसता रहा, मुझे रुलाकर बेइन्तेहाँ वो बेवफा हस्ता रहा।
29- जैसे तरसाया है तूने सनम मुझको, तुझको भी काश कोई तरसाए वैसे।
30- शराब बुरी है तो तू भी कुछ कम नहीं, वो होठों से लगने को तरसाती है और तू नारों से मिलने को।
31- सारे जहाँ की मोहोब्बत का मैं क्या करूंगा, मुझे तो तालाब बस उसकी मोहोब्बत की है।
32- जिन्हे शिकायत है काफी बातों से हमारी, ऐसी चुप्पी साध लेंगे की सुनने को तरसोगे।
33- फिर सारी उम्र तरस कर, चला चला जाऊंगा अपनी कब्र पर।
34- तुम जिस तरह खो से गए हो कहीं, जाओ तुम्हे भी ना मिले तुम पर तरस खाने वाला।
35- मोहोबत बेकार है अब जाकर समझा हूँ मैं, पहले बेइन्तेहाँ बेवजह तरसा हूँ मैं।