
1- ज़िन्दगी मैं तुझे कैसे चाहूँ, की जो मैंने चाहा वो तुझे रास ही नहीं आया।

2- ज़िन्दगी वो चश्मा है जनाब जो कब क्या दिखाएगी कोई नहीं जानता।

3- ज़िन्दगी तूने इतनी आँखें भर दी है मेरी की तुझसे अब मेरा मन भर गया है।

4- ज़िन्दगी रूकती नहीं किसी के चले जाने से हाँ इंसान रुक जाता है वो अलग बात है।

5- ज़िम्मेदारियाँ ख़्वाब के बाद आई ज़िन्दगी में, मगर ज़ोर ज़िम्मेदारियों का ज़्यादा चला है ज़िन्दगी में।

6- हम लड़के हैं जनाब हमें ज़िन्दगी में ज़िम्मेदारियाँ संभालनी पहले आ जाती हैं और ज़िन्दगी जीना बाद में।

7- ज़िन्दगी धीरे चल ज़रा अभी वो आया भी नहीं जिसकी वजह से जी रहा हूँ मैं।

8- खुद से भी छुपता फिरता हूँ कुछ इस क़दर शर्मिंदा हूँ, बस सांसें ही तो चल रही है किसने कहा मैं ज़िंदा हूँ।

9- सब दिखावा कर रहे हैं बहार ज़िन्दगी जीने का, हकीकत तो ये हैं सब अंदर से मर चुके है।

10- ज़िन्दगी को बदलने में वक़्त नहीं लगता पर कभी कभी वक़्त बदलने में ज़िन्दगी लग जाती है।
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11- कट रही है अब ज़िन्दगी ऐसे जैसे सजा कटती है उम्रकैद की।
12- मैंने उम्मीद लगाई ये मेरी गलती है तूने भरोसा दिलाया ये तेरे क़सूर है।
13- ख़्वाबों का टूटना भी मौत सा ही लगता है सिर्फ साँसे रुक जाने को मौत नहीं कहते।
14- हांलाकि मौत आई नहीं है अभी पर सच कहूँ तो मैंने जीना छोड़ दिया है।

15- अब चाहत के बगैर गुज़र तो जाएगी ज़िन्दगी, मगर चाहत के बगैर मैं ज़िन्दगी गुज़ारना नहीं चाहता।
16- ये जो ज़िन्दगी है मैं इसे ज़िन्दगी मानता ही नहीं, मैं उसे ज़िन्दगी मानता हूँ और अफ़सोस वो मुझे कुछ नहीं मानता।
17- बिना स्कूल सब सीखा देगी ये ज़िन्दगी वो किताब है, ये जो मिली है ज़िन्दगी ये ज़िन्दगी नहीं खिताब है।
18- दूसरा मौका सभी को मिलता है ताबिश, पहली बाज़ी सभी ने हारी होती है।
19- सबसे मिलता रहा हर वक़्त ज़िन्दगी में कभी खुद से मिलने का मौका ही नहीं मिला।

20- मैंने ज़िन्दगी की इस बदहाली में रहना सीख लिया है, अगर तुमने जुल्म करना सीख लिया है तो हमने सहना सीख लिया है।
21- सारी ज़िन्दगी उसे अपनी ज़िन्दगी मानता रहा और फिर एक दिन उसने कहा दूर चले जाओ मेरी ज़िन्दगी से।
22- थोड़ा खुशियों के फवारों में नहाया जाए थोड़े गम के घूँट भी पिए जाए, नजाने कितने दिन बाकी है ज़िन्दगी के जितने भी है इन्हे जी भरके जिया जाए।
23- मुश्किलों से बचना ज़िन्दगी को और मुश्किल बना देती है और मुश्किलों से लड़ना जीना आसान कर देती है।
24- ज़िन्दगी हर मोड़ पर रो रो कर चली है, हमने हर सबक सीखा बाद में पहले हमे ठोकर मिली है।

25- ख़्वाब ज़रूर पूरे होते हैं ज़िन्दगी में मगर हर ख़्वाब को पूरा करने के लिए मेहनत का सहारा लेना ही पड़ता है।
26- ज़िन्दगी चल नहीं रही दौड़ रही है, हर एक सांस के साथ वो मेरे हाथ छोड़ रही है।
27- थोड़ी देर और रुक जा थोड़ा तो सबर कर ज़िन्दगी, मैं तेरा मालिक हूँ कम से कम मेरी तो क़दर कर ज़िन्दगी।
28- मेरा बिगड़ा हुआ लहज़ा दीखता है सभी को मेरी बिखरी हुई ज़िन्दगी किसी को नहीं दिखती।
29- ज़िन्दगी काफी कुछ देकर काफी कुछ छीन लेती है।

30- मेरी ज़िन्दगी होती तो मैं कुछ भी कर लेता पर इस कम्बख्त दिल ने तुझे जान मान लिया है।
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31- मेरी ज़िन्दगी की डोर मांझे की तरह हो चुकी है, मैं जितना सुलझाना चाहता हूँ ये उतना उलझ रही है।
32- खुशियों के आशियाने भी गुज़रे थे रास्तों में मगर मेरी ज़िन्दगी को वो मंज़र मंजूर ना था।
33- बीत ही गई ज़िन्दगी देखते ही देखते आधी तुझे याद करने में और आधी तुझे भुलादेने में।
34- ज़िन्दगी का इतना वक़्त बीत गया है मगर अब तक ये बुरा वक़्त नहीं बीता।

35- यूँ ही नहीं रंगीन हो जाती है ज़िन्दगी, वो तो काली रातों में की गई मेहनत रंग लाती है।
36- ऐ ज़िन्दगी तू बहुत बिगड़ गई है सुधर जा कम्बख्त वक़्त रहते।
37- सौ लफ़्ज़ों की एक बात, ज़िन्दगी मैं सोचे बिना सोया नहीं एक रात।
38- ये दुनिया भले ही अच्छी है तेरी ऊपर वाले मगर ये दुनिया वाले बहुत ही गिरे हुए है।
39- जीते-जी बहुत नफरत मिलती है कुदरत से मगर जब जाने वाले होते हैं अचानक सब चाहने वाले हो जाते हैं।

40- गम इस बात का नहीं की दर्द देने वाले काफी हैं गम इस बात का है की उसे समझने वाला एक भी नहीं।
41- ज़िन्दगी तब आसान हो जाती है जब हम मान लेते हैं की मुश्किलें तो हर वक़्त रहेंगी ही।
42- खुश होकर कभी खुश नहीं रहा जा सकता ज़िन्दगी में, खुश रहना आना चाहिए।
43- जब भी चैन से आँख बंद कर सोना चाहता हूँ मैं, ज़िन्दगी कुछ ऐसा करती है की मेरी आँखें खुल जाती है।
44- ये बता खुदा इसमें मेरी या तेरी गलती है, सुकून की नींद मौत के बाद ही मिलती है।
45- अब फिर वो भला अपने बालों को क्या सँवारे जिसकी ज़िन्दगी ही बिखरी हुई हो।
46- कमाने की खातिर एक कमरे में सिमट गई है ज़िन्दगी और फिर लोग कहते है खुलकर जिया करो।
47- पैदा होने से मरने के बीच के सफर को ही ज़िन्दगी कहते हैं।
48- जब तक तेरे संग था तेरे दिल में रहा और फिर तेरे जाने के बाद सारी ज़िन्दगी मैं दर्द में रहा।
49- ज़िन्दगी ने वजूद पर इतने सवाल खड़े कर दिए हैं की कभी कभी दिल बैठ जाता है।
50- जो लोग जानते हैं बिछड़ा जाने का दुःख वो साथ बैठे परिंदे को भी उड़ाया नहीं करते।
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51- मौत भी यही मिलेगी जन्म भी यहीं मिलेगा, दवा भी यहीं मिलेगी जख्म भी यहीं मिलेगा।
52- ना मक़सद से क़िस्मत से चलती है, ये ज़िन्दगी खुदा की रेहमत से चलती है।
53- कैसे बैठा रहूँ आराम से मैं, मेरा भरोसा अब ज़िन्दगी तुझसे उठ चुका है।
54- वक़्त बुरा हो या अच्छा बीत जीना तय है, जो थक कर हारेगा नहीं उसका जीत जाना तय है।
55- ज़िन्दगी के रास्ते में गिरना तय है बस इसीलिए मैं संभलकर नहीं चलता।
56- जब तक जेब में पैसा रहेगा तुमसे बात करने वालों के लफ़्ज़ों में लहज़ा रहेगा।
57- ज़िन्दगी तब से जहन्नुम बन चुकी है जब से मेरी जान तुम बन चुकी है।
58- किसी को अपनी जान मत बना लेना जनाब वर्ना जान पर बन आएगी उसके चले जाने से।
59- वो तो गम भुलाने के काम आ जाती है वर्ना शराब पीनी किसे है, वो तो एक उम्मीद सी है तेरे लौट आने की वर्ना ये ज़िन्दगी जीनी किसे है।
60- छोड़ दिया है जब से उसने ज़िन्दगी में मुझे, मैंने ज़िन्दगी को जीना छोड़ दिया है।
61- हर एक शख्स तलाश में है मरहम की, इस बेदर्द ज़िन्दगी ने सभी को दर्द दिया है।
62- वो इंसान ज़िंदा कैसे हो भला जिसकी सारी ख्वाहिशें मर गई हो।
63- साँसे लेने का वक़्त नहीं है जीते-जी, अब लूँगा चैन की सांस मरने के बाद।
64- मैं ज़िन्दगी में उदास नहीं हूँ, बस अब ज़िन्दगी से मुझे कोई आस नहीं है।
65- बैठूं चैन से नदी के किनारे एक ऐसी भी शाम मिले, बहुत दौड़ लिया ज़िन्दगी में अब चाहता हूँ चैन की सांस मिले।
66- ख़्वाब चाहते हैं एक और रात जागूँ उनके लिए, मंज़िलें चाहती है थोड़ा और भागूं उनके लिए।
67- ये ज़िन्दगी नहीं वो गाडी है जनाब जो कहाँ ले जाएगी कोई नहीं जानता।
68- जीने के लिए ज़िन्दगी तो सभी के पास है मगर जीने का जज़्बा किसी के पास नहीं है।
69- ज़िन्दगी में दुःख होना अलग बात है और ज़िन्दगी में दुखी रहना अलग बात।
70- ज़िन्दगी तू कुछ इस तरह गुज़र रही है जैसे तुझे मालूम ही नहीं मुझ पर क्या गुज़र रही है।
71- तमाशा बनकर रह गई है ज़िन्दगी ग़र्क़ सिर्फ इतना है की मुझे कोई देखने वाला नहीं है।
72- तूफ़ान आने भी ज़रूरी है ज़िन्दगी में, पता लग जाता है कौन हाथ छुड़ा कर भाग रहा है और कौन हाथ पकड़कर।
73- एक दो दफा नहीं हर दम देता रहा, मेरी चाहत ही मुझे गम देता रहा।
74- दूसरों को चलाकर खुद थमा रहा हूँ मैं, अच्छाई करने के बाद भी बुरा रहा हूँ मैं।
75- तुम नहीं समझोगे कैसी होती है ज़िन्दगी जब ख़्वाब तो होते हैं मगर उन्हें पूरा करने की औकात नहीं होती।
76- अच्छा बुरा हर वक़्त देखने को मिलेगा ये जिनगी एक फिल्म है और तुम इसके hero।
77- ज़िन्दगी में खुशियां फुलझड़ियों की तरह होती है एक पल नहीं लगता उन्हें जल कर राख होने में।
78- हालातों के हाथो कितने ख़्वाब मारे गए हैं इसका ना कोई हिसाब है ना हल।
79- मैं कल तो तलाशता रहा दिनभर, और शाम होते होते मेरा आज डूब गया।
80- ज़िन्दगी ने हकीकत को मारा है मेरे मुँहपर तमाचा बनाकर, जो बड़ा hero बना फिरता था रख दिया उसे तमाशा बनाकर।
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81- तेरे बुरे हाल में तेरा हाथ कोई नहीं थामेगा और देख लेना जब अच्छा वक़्त आएगा तो सब पैर पकड़ेंगे।
82- ज़रूरी नहीं हर सांस ले रहा शक़्स ज़िन्दगी ही हो, आज कल इंसान भी उड़ते हैं हवा में ज़रूरी तो नहीं जो हवा में हो वो परिंदा ही हो।
83- शौंक नहीं हर शक़्स को रात में जागने का, कुछ सपने ऐसे भी होते है जो नीँन्द डी उड़ा देते है।
84- ज़ेहन में ये सवाल की क्या खाब पूरे भी होते हैं हकीकत में या फिर वही होगा जो लिखा हुआ है क़िस्मत की वसीहत में।
85- एक बात ज़िन्दगी में हइशा याद रखना, शौहरत महूरत देख कर नहीं मेहनत देख कर आती है।
86- पूछो मत अब कुछ बोलता क्यों नहीं, ज़िन्दगी ने मेरी बोलती बंद कर दी है।
87- ये जो जीते-जी इंसान मारा हुआ है, ये सब हालातों का किया धरा है।
88- ना कहा जा रहा है ना सहा जा रहा है, ज़िन्दगी के इस जहन्नुम से ना निकल पा रहा हूँ ना रहा जा रहा है।
89- अब वो भला क्या चैन की सांस ले सनम, जिसकी ज़िन्दगी में ज़िम्मेदारियों का ज़हर घुला हो।
90- जानता हूँ मैं भी की खराब है शराब मगर दावे से कह सकता हूँ तुझसे ज्यादा नहीं ज़िन्दगी।
91- ग़मों के अंधेरों में गुम हूँ मैं, चुप हूँ क्यूंकि गुमसुम हूँ मैं।
92- हालातों ने मेरी मंज़िल तक पहुँचने का जीना तोड़ दिया, उसने जीना तोड़ दिया मैंने जीना छोड़ दिया।
93- मत जा मोहोब्बत के रास्तों पर बात मान जा, की फ़र्क़ है ख़्वाब और हक़ीकत में ज़मीन आसमान का।
94- चाहते थे प्यार में पड़ना ये किस नफरत से घिर गए हम, ऐ ज़िन्दगी तू बता ये किस गन्दगी में गिर गए हम।
95- ज़िन्दगी तू दर्द दे मैं सहूंगा क्यूंकि ढीट हूँ मैं, हालत कितने ही बुरे क्यों ना हो कहूंगा ठीक हूँ मैं।
96- समय ने बदला है ये समां ज़िन्दगी का, नहीं तो हम भी कभी जी खोलकर जिया करते थे।
97- ज़िन्दगी तेरी इतनी बेक़द्री से तो एक कबर मिल जाती वही ठीक था।
98- जाया गई ज़िन्दगी पीछे उसके जो चाहता भी नहीं की ज़िंदा रहूँ मैं।
99- खाली ख्वाहिश और भरी आँखें,पूरा टूटा दिल और आधी रातें।
100- जानते हुए भी ये बात पूछते है, लोग बेहाल से ही क्यों हाल पूछते हैं।
101- लोग साथ और वक़्त उसी को देते हैं जिसका क़िस्मत साथ दे रही होती है।
102- ना मुसीबत के हल दिख रही है ना क़िस्मत चल रही है, फिर भी ना जाने क्यों शरीर में हलचल हो रही है।
103- जब अक्ल पर पत्थर पद जाते हैं तो अक्सर पत्थर दिल से मोहोब्बत हो जाती है।
104- जब बोझ ज़िम्मेदारियों का कांडों पर बढ़ जाता है, इंसान बहार से शांत और अंदर से गुस्से वाला हो जाता है।
105- अगर इंसान शुरुवात करने की हिम्मत दिखा देता है तो उस कार्य को ख़त्म करने में ईश्वर उसका साथ देता है।
106-नफरत पर अब हंसी आती है, प्यार पर अब ताजुब होता है।
107- मुश्किल में फसा इंसान ही जानता है की मुश्किलों में इंसान पर क्या बीतती है, एक कोशिश लाख बार हारती है तब जाकर एक बार जीतती है।
108- ये ज़िन्दगी के पास उतने दर्द है देने को, जितनी किसी हक़ीम के पास दवा भी नहीं है।
109- अब या तो दोस्ती पूरी होगी या मतलब, एक चीज़ हमेशा अधूरी रह जाएगी।
110- पढ़िए इसे ज़िन्दगी एक किताब है, गर्व कीजिए ज़िन्दगी एक खिताब है।
111- ज़िन्दगी सबसे बड़ा मौका तब देती है, जब इंसान मौके ढूंढना बंद कर देता है।
112- इंसान जब अकेले रहना सीख जाता है, वो कुछ करने से पहले ही जीत जाता है।
113- ऐ वक़्त तू चलकर कहाँ जा रहा है, अभी तक तो एक ख़ुशी का पल भी नहीं आया।
114- आईने में देखकर भी खुद को पहचान नहीं पाता, तेरी जुदाई ने मुझे इतना बदल दिया।
115- पैसों की सुनने वालों के लिए एक इशारा काफी, उनके ज़मीर को खरीदने के लिए पैसों का एक लिफ़ीफ़ा काफी।
116- वक़्त राजा है वक़्त के सारे ही प्यादे हैं, कल तक जो हकीकत थी आज बस यादें हैं।
117- उन्होंने हमसे दूर जाकर यार बदल लिए और हम तो बस करवट ही बदल पाए।
118- दिल तेरा आशियाना था मेरा, वहां से निकल कर अब कहाँ रहूंगा मैं।
119- तूने बता दिया की कभी मेरा था ही नहीं तू, कैसे हर बात होता गलत मैं और हर बार सही तू।
120- आज कल वही महात्मा है जिकी जेब में गांधी है।
121- अभी से कहाँ थक कर बैठ गया बन्दे, अभी तो ज़िन्दगी का सफर शुरू ही हुआ है।
122- दर्द के घूँट जब पीने की आदत लग जाती है, तब कितनी भी लग जाए दर्द नहीं होता।
123- ज़िन्दगी का सफर कुछ ऐसा ही है कब किस मोड़ पर साथ छोड़ जाएगा कहाँ पता चलता है।
124- हादसों का हाथ होता है मिलाने में और हादसों में ही हाथ और साथ छूट जाते हैं।
125- उसे जाने दो जो जाना चाहता है, वो हमे अपने बगैर जो आज़माना चाहता है।
126- कहूंगा कुछ भी नहीं मगर सीधा बोलती बंद कर दूंगा।
127- कोई बात बनाऊंगा नहीं जब तक बाते बन नहीं जाती, चलता रहूंगा जब तक साँसे थम नहीं जाती।